मोदीजी अहंकार छोड़िए, नोबल पुरुस्कार विजेता अभिजीत के शोध पर अमल करना भारत में आज सबसे जरूरी है

आज जब देश में अनाज भण्डारण इतना हो गया है कि खाद्य मंत्रालय विदेश मंत्रालय से गुहार लगा रहा है कि कुछ गरीब देश तलाशो जिन्हें यह अनाज मुफ्त मदद के रूप में भेजा जा सकें (वरना इन्हें फेंकना पड़ेगा), नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजित बनर्जी के व्यावहारिक अर्थशास्त्र के शोध को अमल में लाने के लिए भारत सबसे उपयुक्त देश है। उनके प्रयोगों की सफलता देखें। राजस्थान में दाल देने की योजना शुरू कर टीकाकरण 18 से बढ़ाकर 39 प्रतिशत कर दिया और कार्यक्रम की लागत भी आधी रह गई।

ये अभिजित, पत्नी एस्थर डफ्लो और सहकर्मी क्रेमर (तीनों को संयुक्त नोबेल पुरस्कार) के दशकों के प्रयास थे, जिसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएनओ को गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में ‘प्रोत्साहन’ का तत्व जोड़ना पड़ा और जिससे दुनिया के अनेक देशों के लोगों को गरीबी की गर्त, अज्ञानजनित स्वास्थ्य के अंधकार और अशिक्षा के जंगल से बाहर निकाला जा सका।

कितने खेद की बात है कि जिसे दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाज़ा गया वह भारत का है, मुंबई में पैदा हुआ, कोलकाता और जेएनयू में पढ़ा, दिल्ली में जमीनी स्तर पर शिक्षा पर शोध किया लेकिन यह सब करने के लिए उसे अमेरिका के एमआईटी जाना पड़ा, जिसने उसकी मदद की। कोई 38 साल पहले जेएनयू में दाखिला लेने के बाद उन्होंने रिकॉर्ड ग्रैड से टॉप किया। उसी दौरान वे विश्वविद्यालय के दाखिले के किसी नियम में बदलाव को लेकर, जिससे गरीब बच्चों को मिल रही सुविधा रुक सकती थी, 300 छात्रों के साथ तिहाड़ जेल में बंद रहे। अभिजीत और दुनिया के करीब 100 अर्थशास्त्रियों ने एमआईटी में ही अब्दुल लतीफ जमील लैब स्थापित की, जिसने अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को जमीन पर लाने का संकल्प किया।

इन दो संस्थाओं के अलावा दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने उनके व्यावहारिक शोध का भरपूर फायदा उठाया -बाल शिक्षा उम्र के हिसाब से नहीं समझ को माप कर देना- और हर कदम पर उनकी सलाह मानते हुए आज देश की राजधानी की सरकारी शिक्षा को उस स्तर पर पहुंचा दिया कि लोग महंगी निजी शिक्षा को छोड़ने लगे हैं। लोकसभा चुनाव-पूर्व हर किसान को ‘न्याय’ (न्यूनतम आय योजना) के तहत 6000 रुपए हर माह देने की कांग्रेस की घोषणा भी अभिजीत की ही देन थी। अभिजीत वर्तमान आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं, लेकिन, क्या आज भारत सरकार इनके ज्ञान का लाभ लेना चाहेगी?

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