अडानी पर रवीश का तंज, कहा- सेठ ने जब से चैनल खरीदा है, स्वतंत्र पत्रकारिता की बात कर रहे हैं

इसे ठीक से समझिए। जब से दुनिया के तीसरे या दूसरे नंबर के अमीर सेठ ने एक न्यूज़ चैनल में हिस्सेदारी ख़रीदी है, तब से सेठ जी संपादकीय स्वतंत्रता की बात करने लगे हैं। लेकिन दैनिक जागरण में उनका फ़ीचर इंटरव्यू छपता है। अख़बार के सबसे नीचे इसे पावर फ़ीचर कहा गया है। सेठ से इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार का नाम तक नहीं है। अगर सेठ जी संपादकीय स्वतंत्रता के इतने बड़े पक्षधर बन कर इस धरा पर उतरे हैं तब उन्हें इस तरह का फ़ीचर इंटरव्यू देने से बचना चाहिए था।

पत्रकार का नाम होना चाहिए था। पूरा इंटरव्यू विज्ञापन की शक्ल में छापा गया है। शनिवार के जागरण के पहले पन्ने पर इंटरव्यू छपा है। नई दुनिया में भी छपा है। यह अख़बार भी जागरण समूह से जुड़ा है। उसी दिन या उसके एक दिन पहले अमरीका के एक अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट में गौतम अदाणी के कोयला साम्राज्य पर एक रिपोर्ट भी छपती है। क्या जागरण उस रिपोर्ट को छाप सकता है? वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट मैंने नहीं पढ़ी है लेकिन सोचिए एक ही बिज़नेसमैन को लेकर दुनिया के दो बड़े अख़बारों में क्या छपता है। एक में फ़ाइल तलाशी जाती है और एक में फ़ीचर इंटरव्यू छापा जाता है। फिर आपको मेरे गोदी सेठ और गोदी मीडिया कहने से दिक़्क़त भी हो जाती है ।

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