JNU के बाद AIIMS में पढ़ना और इलाज कराना महंगा होगा

देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में इलाज कराना और पढ़ना दोनों महंगा होने जा रहा है। दिल्ली एम्स ने ट्यूशन फीस और मरीजों से अलग-अलग इलाज के लिए वसूले जाने वाले शुल्कों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया है। इसके बाद इसे बढ़ाने पर फैसला किया जाएगा।

इसके पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में हुई एम्स की सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी की बैठक में ट्यूशन फीस और इलाज की दरों की समीक्षा को मंजूरी दी गई थी। एम्स दिल्ली के वित्तीय सलाहाकार की ओर से जारी एक कार्यालय आदेश में सभी विभागों, अनुभागों, केंद्रों और सुविधा केंद्रों से जानकारी मांगी गई है कि उनकी ओर से दी जा रही सेवाओं की दर क्या है? ये दर कब से लागू है?

इन सेवाओं पर आने वाली वास्तविक लागत क्या है और वास्तविक लागत से कम दर वसूलने की क्या वजहें हैं? आदेश में निर्देश दिया गया कि सेवाओं पर आने वाली वास्तविक लागत की गणना में सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों के नियम क्रमांक 47 का पालन किया जाए। इसके मुताबिक किसी भी सेवा की वास्तविक लागत तय करने के लिए उस सेवा पर आने वाली परिचालन लागत के साथ उस सेवा पर आई पूंजीगत लागत पर एक तर्कसंगत राशि शामिल होनी चाहिए। सभी विभागों से 25 नवंबर तक यह जानकारी साझा करने को कहा गया है।

एम्स से लागत वसूलने की अपेक्षा :केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एम्स दिल्ली की ओर से तय दरों को ही अन्य सभी एम्स पर लागू करने को कहा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक बजट की कमी से जूझ रहा मंत्रालय चाहता है कि अच्छी तरह स्थापित हो चुके एम्स अब कुछ लागत निकालना शुरू करें, जिससे कि नए एम्स को लेकर सरकार पर बजट का दबाव कम हो।

दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि ट्यूशन फीस और इलाज के खर्च में समय के साथ वृद्धि होती रहनी चाहिए। जो लोग अपने इलाज के पैसे चुका सकते हैं उनसे पैसे जरूर लेने चाहिए। अन्यथा उनके इलाज का खर्च करदाताओं को उठाना पड़ता है। लेकिन इसमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जो लोग पैसे नहीं चुका सकते,उन्हें मुफ्त में इलाज मिल सके।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *