अमित शाह को सरकार ने थमाई एअर इंडिया को बेचने की जिम्‍मेदारी, पैनल से नितिन गडकरी को हटाया

PATNA: कर्ज में डूबी सरकारी एयलाइन कंपनी एयर इंडिया को बेचने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया है। नए प्लान के तहत सरकार एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन  के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने बताया कि ‘सरकार का मानना है कि अगर निवेशक कंपनी की पूरी हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं तो ठीक है। लेकिन मैं इस बारे में तभी बताऊंगा, जब इस पर फैसला ले लिया जाएगा। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि मैं इसमें सरकार की तरफ से कोई अड़चन नहीं देखता हूं।’

विनिवेश मॉडल पर एयर इंडिया के लिए नए मंत्री काम करेंगे। एयर इंडिया में विनिवेश पर मंत्रियों के समूह का दोबारा गठन किया गया है। इस ग्रुप का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इस पैनल से केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को बाहर कर दिया गया है। इस पैनल का नाम इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मेकेनिज्म रखा जाएगा, पहले इसे जून 2017 में गठित किया गया था। तब इस पैनल में 5 लोग शामिल थे, जिनका नेतृत्व तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली कर रहे थे।

इस पैनल में अब चार मंत्री- गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल रहेंगे। यह पैनल एयर इंडिया की बिक्री के तौर-तरीकों पर काम करेगा। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बने इस पैनल से समूह से सबसे ताकतवर मंत्रियों में से एक नितिन गडकरी को बाहर कर दिया गया।

रकार से जारी समर्थन के परिणामस्वरूप एयर इंडिया के वित्तीय और परिचालन प्रदर्शन में सुधार हुआ। AISAM की सिफारिशों के मुताबिक, सरकार अब कंपनी के विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी। आर्थिक संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया में विनिवेश के लिए सरकार व्यापक तौर से तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार विनिवेश प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी। 28 जून 2017 को एक बैठक में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सैद्धांतिक रूप से एयर इंडिया और इसकी पांच सहायक कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी।

अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने 2018 में एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री तथा एयरलाइन के प्रबंधन नियंत्रण के लिए निवेशकों से बोलियां आमंत्रित की थीं। हालांकि, यह प्रक्रिया विफल रही थी और निवेशकों ने एअर इंडिया के अधिग्रहण के लिए बोलियां नहीं दी थीं। उसके बाद सौदे को नियुक्त सलाहकार ईवाई ने इस बारे में रिपोर्ट तैयार की थी कि बिक्री की प्रक्रिया क्यों विफल रही।

 

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