महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार की 1000 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली इनकम टैक्स ने

एक विज्ञापन की बड़ी फेमस लाइन है- कुछ दाग अच्छे होते हैं। तो क्या पॉलिटिक्स में यह नया स्लोगन हो गया है। चाहे कुछ भी हो जाये, पूरी निर्लज्जता के साथ उसे स्वीकर कर लिया जाये, क्योंकि अब दाग बुरे नहीं माने जाते। कहीं से कोई शोर नहीं होता। क्या ऐसे दाग सामाजिक स्वीकृति पा रहे हैं?

फिलहाल तो हाल के कुछ मामलों से ऐसा ही लगता है। चाहे मामला अनिल देशमुख का हो, उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का हो, परमवीर सिंह का हो या फिर समीर वानखेड़े का। पहले इस तरह के दाग लगने पर जांच होती थी, हल्ला होता था, इस्तीफा होता था। लेकिन अब कानोकान खबर नहीं फैलती।

आयकर विभाग ने महाराष्ट्र, गोवा और दिल्ली में कथित रूप से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार के करीबी सहयोगियों से जुड़ी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। आयकर विभाग की बेनामी शाखा ने एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया है, जो सूत्रों के अनुसार, उनकी चल रही जांच का हिस्सा है।

कुर्क की गई संपत्तियों में महाराष्ट्र के सतारा में जरंदेश्वर शुगर फैक्ट्री, मुंबई में एक आधिकारिक परिसर, दिल्ली में एक फ्लैट, गोवा में एक रिसॉर्ट और महाराष्ट्र में 27 अलग-अलग स्थानों पर भूमि पार्सल शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि इन संपत्तियों का मौजूदा बाजार मूल्य करीब 1000 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि, इन संपत्तियों का बुक वैल्यू काफी कम है।
पता चला है कि इनमें से कोई भी संपत्ति सीधे तौर पर अजीत पवार के स्वामित्व में नहीं हैं।


पिछले महीने, आयकर विभाग ने मुंबई में दो रियल एस्टेट व्यवसाय समूहों और कथित तौर पर अजीत पवार के रिश्तेदारों से जुड़ी कुछ संस्थाओं पर छापेमारी के बाद 184 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का पता लगाया। विभाग ने मुंबई के दो रियल एस्टेट व्यवसाय समूहों, डीबी रियल्टी और शिवालिक समूह के साथ-साथ उनसे जुड़े कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं पर छापा मारा था, जो अजीत पवार के बेटे और बहनों से भी संबंधित थे।
तलाशी अभियान 7 अक्टूबर को शुरू हुआ और मुंबई, पुणे, बारामती, गोवा और जयपुर में फैले लगभग 70 परिसरों में चलाया गया।

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