आज अक्षय नवमी का त्योहार, आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से दूर होती है दरिद्रता

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी (आंवला नवमी) का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ आंवले के पेड़ की पूजा होती है। 23 नवंबर सोमवार को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और शिवजी आंवले में वास करते हैं। आंवले के पेड़ की पूजा करने से आरोग्यता और सुख-समृद्धि बनी रहती है। आज के दिन दान करने पर क्षय नहीं होता है।

आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से दरिद्रता दूर होती है साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पंडित श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की प्रथा की शुरुआत देवीलक्ष्मी ने की थी। मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर आईं, रास्ते में उनके मन में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा हुई। धरती पर आकर मां लक्ष्मी ने सोचा कि भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ कैसे हो। तो उन्हें याद आया कि तुलसी और बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं, तुलसी भगवान विष्णु को और बेल शिवजी को प्रिय है। इसके बाद मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा करने का निश्चय किया।

आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े- बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा- अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा- अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

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