मरीजों का इलाज मुश्किल, हड़ताल पर गए बिहार के सरे जूनियर डॉक्टर, PMCH में काम ठप

पीएमसीएच समेत राज्य भर के सभी 9 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इलाज मुश्किल : अपनी मांगाें काे लेकर साेमवार से सभी नाै मेडिकल काॅलेजाें के 8000 जूनियर डाॅक्टर हड़ताल पर रहेंगे। पीएमसीएच-एनएमसीएच में भी अाेपीडी के साथ इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित हाेंगी। पीएमसीएच के लिए 300 सीनियर डाॅक्टर और 200 सीनियर रेजिडेंट काे तैयार रहने के लिए कहा गया है। 50 डॉक्टर सिविल सर्जन से मांगे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन से बातचीत की जा रही है। हमारी कोशिश है कि वे हड़ताल पर न जाएं।

पीएमसीएच ने की 50 डॉक्टरों की मांग : एनएमसीच समेत 9 अस्पतालों में हड़ताल पर रहेंगे जूनियर डॉक्टरराज्य के सभी नौ सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार सुबह आठ बजे से हड़ताल पर जाने का एलान किया है। अपनी आठ सूत्री मांग को नहीं माने जाने पर हड़ताल का आह्वान किया गया है। इससे ओपीडी के साथ ही इमरजेंसी सेवा भी प्रभावित रहेगी।

हड़ताल में पीएमसीएच के अलावा एनएमसीएच और अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर भी शामिल रहेंगे। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि वे पिछले आठ महीने से अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। ऐसे में जूनियर डॉक्टरों के पास अपनी मांगों को मनवाने के लिए एकमात्र विकल्प हड़ताल ही बचा है। पीएमसीएच के जेडीए अध्यक्ष डॉ. शंकर का कहना है कि जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानेगी तब तक हड़ताल वापस नहीं लेंगे।

जेडीए से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील : पीएमसीएच राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे तो मरीजों का इलाज पूरी तरह से प्रभावित होगा। इमरजेंसी, ओपीडी और इंडोर समेत अन्य सभी स्वास्थ्य सुविधाएं हड़ताल के कारण प्रभावित होंगी। ऐसे में अस्पताल प्रशासन का दावा है कि वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए मरीजों की परेशानी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि पटना सिविल सर्जन से अतिरिक्त 50 डॉक्टरों की मांग की गई है जो सोमवार की सुबह आठ बजे से उपलब्ध होना है। ऐसा सिविल सर्जन ने आश्वासन दिया है। इधर, अधीक्षक ने समस्या गंभीर होने की आशंका को देखते हुए जेडीए से अपील की है कि मरीजों के हित में हड़ताल पर नहीं जाएं। अभी पर्व-त्योहार का समय है और साथ ही आधा बिहार बाढ़ से प्रभावित है। ऐसे में मरीजों का इलाज प्राथमिकता में होना चाहिए।

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