ट्रंप की ध’मकी के सामने हार मान गए पीएम मोदी, अमेरिका को दवा देने के लिए तैयार हुआ अमेरिका

लीजिए ट्रम्प के सामने कर दिया PM ने सरेंडर। भारत के किसी प्रधानमंत्री को इस तरह से पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ध’मकाया। उसका जवाब देने के बजाय मानवता के नाम पर हैड्रोकलोरोक्विन दवा देने का भारत ने निर्णय किया है। जबकि देश में इस करोना के उपचार के लिए इस दवा की जरूरत है। यहां खुद बहुत आभाव है।

विदेश मंत्रालय (विदेश tweet : महामारी के मानवीय पहलुओं के दृश्य में, यह तय किया गया है कि भारत हमारे सभी पड़ोसी देशों के लिए उचित मात्रा में पेरासिटामोल और hydroxychloroquine का लाइसेंस देगा जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं । हम भी इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ राष्ट्रों को करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से प्रभावित हुए हैं । इसलिए हम इस संबंध में किसी भी अटकलें को हतोत्साहित करेंगे या इस मामले को राजनीतिकरण के किसी भी प्रयास को हतोत्साहित करेंगे

चुनावी बेला में कोरोना महासंकट के कुप्रबंधन को लेकर अपने घर में बुरी तरह से फंसे अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने स्‍पष्‍ट संकेतों में भारत को धमकी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। दरअसल, अमेरिका में 10,876 लोगों की कोरोना से मौत हो गई और ट्रंप अपनी जनता को केवल कोरी दिलासा दे रहे हैं। इस महामारी को रोकने में पूरी तरह से फेल ट्रंप काफी निराश हैं। इसी हताशा में अमेरिकी राष्‍ट्रपति कभी विपक्षी नेताओं और कभी ईरान पर जुबानी हमले करके पूरे मुद्दे को डायवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप को यह डर सता रहा है कि इसी साल अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव होने वाले हैं और अगर कोरोना वायरस संकट का जल्‍द समाधान नहीं हुआ तो उनके दोबारा जीत में मुश्किल आ सकती है।

मलेरिया दवा न देने पर ट्रंप की भारत को धमकी : उधर, संकट की इस घड़ी में विपक्षी नेताओं ने भी ट्रंप पर हमले तेज कर द‍िए हैं। विपक्षी नेता डोनाल्‍ड ट्रंप पर कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने कोरोना संकट को कम करके देखा और उस अनुसार तैयारी नहीं की। इस आलोचना की वजह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में हर दिन तेजी से बढ़ रहा संक्रमण है जो अब तक साढ़े तीन लाख से ज्‍यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। पूर्व उपराष्ट्रपति और डेमोक्रैटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति की रेस में खड़े हुए जो बाइडेन ने ट्रंप पर अटैक करते हुए कहा कि आप कोरोना के लिए जिम्मेदार नहीं लेकिन उससे निपटने की तैयारी में असफल रहे हैं।

बाइडेन ने ट्वीट किया, ‘डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन वह इससे निपटने में हमारे देश को तैयार करने में असफल ऱहने के लिए जिम्मेदार हैं।’ बाइडेन ने साथ ही देश में एकबार फिर ओबामाकेयर को लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘ट्रंप को तत्काल ओबामाकेयर शुरू करने की जरूरत है। इस वक्त छोटापन और अपनी विचारधारा दिखाने का वक्त नहीं है, बल्कि जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हुई हैं।’

इससे पहले मिनसोटा से डेमोक्रैट सांसद इल्हाम उमर ने ट्रंप पर आरोप लगाया था कि उनके कुप्रबंधन से अमेरिका में लाखों जिंदगियां जाएंगी। वहीं, कोरोना का केंद्र बन चुके न्यूयॉर्क के मेयर ने भी ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें लगा कि हमारे पास तैयारियों के लिए काफी वक्त है जबकि हमारे पास वक्त कम था। उन्होंने कोरोना संकट को कम आंका। यही नहीं जब पूरे अमेरिका में लोगों का मास्‍क पहनने की सलाह दी जा रही है तो ट्रंप ने कहा है कि वह मास्‍क नहीं पहनेंगे। वहीं CDC ने लोगों को सलाह दी है कि वे घर से बाहर निकलें तो कपड़े का मास्क पहनकर निकलें।

यही नहीं जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) दवा के लिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति ताव दिखा रहे हैं, उसको लेकर खुद विशेषज्ञ ही सहमत नहीं हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर इस दवाई का सेवन सही तरीके से नहीं किया गया तो इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। बढ़ते संकट के बीच यूरोप, अमेरिका और चीन में इस दावाई के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस जारी किया गया है। लेकिन ब्रिटेन ने अपने डॉक्टरों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। इसका कहना है कि जब तक इस दवाई पर जांच नहीं हो जाती तब तक इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस मरीजों पर न किया जाए। ट्रंप इस दवा को ‘गेमचेंजर’ बता चुके हैं।

इससे पहले ट्रंप कोरोना वायरस के वैक्‍सीन को लेकर किए गए अपने दावे को लेकर भी बुरी तरह से फेल साबित हुए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति कहा था, ‘मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि कोरोना वायरस से लड़ने की दिशा में काम शुरू हो गया है। एक व्‍यक्ति को वैक्सीन दी गई है और इसका चरण-1 क्लिनिकल परीक्षण शुरू कर दिया गया है। यह इतिहास में सबसे तेज वैक्सीन तैयार करने की दिशा में एक कदम उठाया गया है। हम एंटी वायरल थेरेपी और अन्य उपचार विकसित करने के लिए भी तेजी से कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास कुछ आशाजनक शुरुआती परिणाम हैं।’ ट्रंप के इस दावे के बाद भी वैक्‍सीन का कहीं पर पता नहीं है। यही नहीं उन्‍होंने एक जर्मन मेडिकल कंपनी से कथित तौर पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का विशेषाधिकार खरीदने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें भी बुरी तरह से फेल हो गए थे।

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