आनंद मोहन ने लालू को किया था ओपन चैलेंज, जो बिगाड़ सकते हो तो बिगाड़ लो, आज बने खासम खास

पटना 26 अप्रैल 2023 : बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन आज सहरसा जेल में खुद को सरेंडर करने जा रहे हैं. अगले दो-तीन दिनों में इनको हमेशा हमेशा के लिए जेल से रिहा कर दिया जाएगा. उनके बड़े बेटे चेतन आनंद विहार से राजद के विधायक है. पत्नी लवली आनंद को राजद ने टिकट दिया था लेकिन वह हार गई. अब कयास लगाया जा रहा है कि आनंद मोहन राजद में लोकसभा चुनाव से पहले शामिल हो सकते हैं… लेकिन ठहरीय, क्या आप जानते हैं कि यही आनंद मोहन है जिन्होंने 90 के दशक में बिहार के तत्कालीन सीएम लालू यादव को उनकी जाति वाली पॉलिटिक्स के कारण खुलेआम चैलेंज कर दिया था. बिहार की राजनीति पर पकड़ रखने वाले जानकार लोग बताते हैं कि जब लालू सीएम बने तब उन्होंने सवर्णों के खिलाफ जमकर जहर उगला. ओबीसी वर्ग के लोगों को लालू का यह स्टाइल काफी पसंद आया.

उस समय बिहार की राजनीति में हिंसा और गुंडागर्दी नॉर्मल बात हुआ करती थी. आप क्या सकते हैं जिसकी लाठी उसकी भैंस. कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद लालू यादव विक्रम बाजी करके सीएम बनते हैं. और अपनी कुर्सी पर दावेदारी मजबूत करने के लिए अपना वोट बैंक बनाने का प्रयास करते हैं. खुलकर सवर्णों को टारगेट करते हैं.

इसी बीच आनंद मोहन बिहार की पुलिस पार्टी बनाने का एलान करते हैं. सवर्णों के समर्थन में जमकर बयानबाजी करते हैं. रैलियों में कहते हैं जिसको जो बिगाड़ना है बिगाड़ लो आनंद मोहन सवर्णों का नेता है वह हमेशा उसके साथ था और रहेगा. आनंद मोहन इससे पहले सामाजिक क्रांति सेना भी बना चुके थे और उनके कार्यकर्ता तैयार हो चुके थे. किसी भी कीमत पर आनंद मोहन सवर्णों के रुतबे को कम नहीं होने देना चाहते थे. वही लालू ने तय कर लिया था कि खबरों को उनकी औकात बतानी है. समाज के निचले तबके को बराबरी पर लाना है.

5 दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर में छोटन शुक्ला हत्याकांड के विरोध में लोग उग्र होकर सड़क पर उतर आए थे. इसी बीच उस समय के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णया कहीं जा रहे थे. लोगों को लगा शायद यह मुजफ्फरपुर के वर्तमान डीएम हैं. लोग उन पर टूट पड़े. कहने वाले तो यहां तक कहते हैं जब डीएम की हत्या की गई थी तब तक आनंद मोहन भाषण देकर मंच पर से जा चुके थे. लाल बत्ती देखा और जानवरों की तरह पीएम की गाड़ी पर टूट पड़े. हत्याकांड की सजा के तौर पर आनंद मोहन को पहले सजा-ए-मौत और फिर उम्र कैद की गई.

जेल के दौरान भी आनंद मोहन का रुतबा बरकरार रहा. बाहर उनके लाखों समर्थक उनके एक आदेश पर किसी भी काम को अंजाम देते रहे. वह दौर था जब पप्पू यादव और आनंद मोहन के समर्थकों के बीच खुलेआम टकराव हुआ करते थे.

वर्तमान में लौटते हैं आनंद मोहन और लालू परिवार की दुश्मनी खत्म हो चुकी है. लालू यादव राजनीति से आउट हो चुके हैं. बीमारी के कारण अभी स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. बेटे तेजस्वी यादव ने सब कुछ संभाल लिया है. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद राजद के टिकट पर शिवहर से चुनाव जीत चुके हैं. इसी बीच आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की शादी पटना में होती है और तेजस्वी यादव सहित बिहार के कई जाने-माने नेता उसमें उपस्थित होते हैं.

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार तो कहा जाता है कि लालू प्रसाद यादव और राजद के दबाव में नीतीश कुमार ने जेल कानून में बदलाव किया और आनंद मोहन को बाहर निकालने का फैसला ले लिया. अब सवाल उठता है कि तेजस्वी आनंद मोहन को क्यों बाहर निकालना चाहते हैं.

कारण साफ है 2024 में लोकसभा का इलेक्शन होना है और विपक्ष के लिए या करो या मरो की स्थिति है. जानकारों की माने तो बिहार के मिथिला क्षेत्र में आनंद मोहन की आज भी बहुत बड़ी पकड़ है. वे आज भी सवर्णों के हीरो हैं. चाहे भूमिहार हो या राजपूत ब्राह्मण हो या कोई और जात. आनंद मोहन के रुतबे से सब कोई परिचित है.

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