पूर्वाग्रहसँ ग्रसित छथि प्रो० अपूर्वानंद, DU में मैथिली पढ़ाओल जेबाक केलनि विरोध

मैथिली साहित्यमे अभिनव विद्यापतिक नामसँ सुविख्यात कवि भवप्रीतानंद जीक वंशज छथि आदरणीय अपूर्वानंद। ई भेल हिनकर एकटा परिचय आ दू बरिस पहिने जेनएयू विवादमे खालिदकेँ अपन पोषपुत्र कहि संबोधन करब, भेल हिनक दोसर परिचय। आओरो हिनकर कतेको रूप जँ ताकब तँ भेट जाएत। ताहि पचड़ामे हमरा नहि ओझरएबाक अछि।

ओना हमहुँ महाराणा प्रतापक वंशज छी मुदा अपन आचरणमे कतहु महाराणाक ‘म’ धरि नहि भेटैत अछि। जेना विश्र्बा ऋषिक पुत्र रावण मुदा आचरण हुनकर विपरीत। सम्प्रति राहुल महाजन राहुल गांधी दुनु देशक कदावर नेता प्रमोद महाजन आ पंडित नेहरूक वंशज छथि मुदा आचरणमे कतहु मेल खाएत की देखा रहल अछि?

देखल जाए तँ हमर सभक धरती स्वयं धरतीकेँ मैथिकS कर्मकांडसँ निर्मित सभसँ पावन पुनीत धरती मानल जाएत अछि जतय विदेह राज जनक सन राजा आ धरासँ अवतरित भेल साक्षात शक्ति स्वरूपा माता सीताक प्रादुर्भाव भेल अछि। मुदा की हमरा सभमे हिनका लोकनिक मिसियो भरि अंश अछि। से जँ कनिओ भेटल रहैत तँ आई मिथिला जे कहिओ देश छल से प्रदेश छोड़ू आब अंचल धरि नहि भेट रहल अछि। मैथिलीक धरामे मैथिलकेँ अपनहि मातृभाषा मैथिली लेल एना खेखन’ब, की कतहुसँ जनकक धरासँ जोड़ि पबैत छी ?बाबा भले फौदारी लड़ब तँ मारले जाएब।

दिल्ली विश्वविद्यालयक हिंदी विभागक प्रो० अपूर्वानंद जीक आलेखमे कोनो संशय नहि अछि। नहिए बुझबाक लेल कोनो रॉकेट साइंसक प्रयोग करबाक अछि। हुनक कहब छनि :-“मैथिलीक पढाइसँ कोन स्थानीय संस्कृतिक संवर्धन हेतैक? मिथिलाक, बिहारक आ की दिल्लीक? कने सोचल जाए तँ संस्कृतिकेँ संवर्धन बला तर्क वा कारण अकादमी नहि राजनीति अछि”।

प्रोफेसर साहब टीवी परिचर्चामे खूब बौद्धिक विमर्श करैत देखल जाएत छथि। आ ओ अतेक बुझनुक अवश्य छथि जे मैथिलीमे सेहो राजनीति घुसिया रहल छथि। ओ ताहूमे कोनो दलगत षड्यंत्र देख रहल छथि। हिंदी बनाम मैथिली सेहो ओ आलेखक माध्यमसँ देख रहल छथि। मैथिलीक प्रचार प्रसार हिंदीक कपार चढि हेतैक मतलब हिंदीक विकास लेल मैथिली बाधक भS सकैत अछि तहिना ओ अपन बौद्धिक आलेखसँ देख रहल छथि।

हिंदीक प्रोफेसर छथि, हिंदीक जयजयकार करथि हमहुँ सब सँग छी। जखन की हिंदीक माथ पर सेहो आब अंग्रेजी कत्थक करब शुरू कS देल अछि। अंग्रेजी सेहो आब अंगना दलानसँ लSक भनसा घर धरि ढुकल अछि। तकर चिंता सेहो प्रोफेसर साहबकेँ करबाक चाही छल।

मैथिली भाषा संवर्धन भेलासँ जँ भलाई बेसी कोनो भाषाकेँ होमय बला अछि, ओ अछि हिंदी। मुदा से बात हिनका सनक बुधिमे व्याधि लागल प्रबुद्ध लोककेँ नहि देखाइत छनि। उनटा मैथिली जे हिनकर स्वयंकेँ मातृभाषा छनि ताहि सँग खेल खेलाएत छथि।

जँ राजनीति भS रहल छैक तँ अहिमे खरापी की? आधुनिक भाषाक नाम पर डीयूमे एखन 14 भाषा पढाओल जा रहल अछि की सब ओहिना थारीमे परोसल गेल छैक आ की राजनीति समाजिक संस्थागत प्रयास कएल गेल हेतैक?

दिल्ली विश्वविद्यालयमे मैथिली भाषाक पढाइ कराओल जाए ई हमर पहिल धेय होयबाक चाही। राजनीति जनिका करबाक छनि सेहो करौथ, मुदा बौद्धिकताक सँग व्यवहारिक होय नहि की बौद्धिक व्यंग सँग निष्ठावान व्यक्तिक निष्ठा पर राजनीति व्यंग्य कहि नाकारि देल जाए। माँ जानकी सद्बुद्धि प्रदान करथि।

-रामबाबू सिंह

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