अयोध्या हनुमान मंदिर ने पटना के महावीर मंदिर पर ठोका दावा, कहा- इसकी सारी संपत्ति हमारी है

PATNA : हनुमानगढ़ी अयोध्या ने पटना के महावीर मंदिर पर अपना अधिकार जताने के लिए दावा ठोका है। इसके लिए हनुमानगढ़ी ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद को पत्र लिखा है। साथ ही महावीर मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने के लिए अयोध्या में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। महावीर मंदिर को लेकर उठे विवाद के बीच शुक्रवार को पटना में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने स्पष्ट किया कि पटना के महावीर मंदिर का अयोध्या के हनुमानगढ़ी से कोई वास्ता ही नहीं है।

यह भगवान राम के प्रति श्रद्धा है, जो अयोध्या में महावीर मंदिर की ओर से राम रसोई के साथ अन्य प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। इस संदर्भ में कुणाल ने कहा कि महावीर मंदिर द्वारा अयोध्या में संचालित राम रसोई की लोकप्रियता राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। रामनवमी व अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर पटना से ही नैवेद्यम लड्‌डू भेजा जाता है।

राम लला के भोग के लिए गोविंद भोग चावल भी महावीर मंदिर की ओर से ही व्यवस्था कराई जाती है। हाल ही में 200 लॉकर की नि:शुल्क सुविधा भी रामजन्मभूमि के दर्शन करने वाले भक्तों के लिए उपलब्ध कराई गई है। संवाददाता सम्मेलन में किशोर कुणाल ने कहा कि महावीर मंदिर का इतिहास एवं कानूनी स्थिति की जानकारी हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास एवं बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद् के अध्यक्ष को पहले ही दे दी थी।

महावीर मंदिर पटना उच्च न्यायालय के आदेश से सार्वजनिक मंदिर है। 1935 से इसका संचालन न्यास समिति के द्वारा होता है। 1956 में धार्मिक न्यास पर्षद और महावीर मंदिर न्यास समिति के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके अनुसार न्यास समिति जब तक मंदिर का आर्थिक विकास करती रहेगी, न्यास पर्षद इसके संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगी। 1958 में पटना उच्च न्यायालय ने इस समझौते को स्वीकृति दी थी। 1990 में धार्मिक न्यास पर्षद् ने इसके संचालन के लिए एक विस्तृत योजना बनायी थी। इसके अनुरूप इी इसका संचालन होता है।

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