अयोध्या में मस्जिद वाली जगह पर बनेगा बच्चों के लिए स्कूल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने किया ऐलान

बहुत शानदार फैसला। अयोध्या में मस्जिद के लिए दी गई ज़मीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड स्कूल बनाएगा। अगर सूत्रों की ये खबर पूरी तरह पुख्ता है तो इसके लिए हम सबको मिलकर चंदा करना चाहिए। बेमिसाल स्कूल बनना चाहिए। ऐसा स्कूल जिसको इंटरनेशनल लेवल पर पहचान मिले।

खबर है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद के लिए प्रस्तावित जमीन को मंजूर कर लिया है। सुन्नी बोर्ड इस 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद की बजाए शिक्षण संस्थान बनाएगा। साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक किसी संस्थान का निर्माण किया जाएगा।

ये काम तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। मैं तो कहता हूं इतना चंदा करें, जैसे हम मस्जिद या मदरसे के लिए करते हैं। और उस चंदे के पैसे से जगह जगह स्कूल खुलवाएं। मुसलमानों के बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा आईएस बनें। बैंकिंग, आईआईटी, साइंस में जाएं। जज बनें। लीडर बनें। इतने पढ़ें कि वारिस पठान जैसे वाहियात लोगों की बातों में ना आएं। अपने रास्ते मंज़िल तक पहुंचने के लिए खुद तलाशें। और बाकी लोगों को राह दिखाएं। जब इतना पढ़ लिख लेंगे तो कोई भी हुकूमत अा जाए वो एक ज़िंदा कौम को कुचलने की हिमाकत ना कर सकेगी।


सबसे ज़्यादा इल्म मुसलमानों के पास होना चाहिए था। क्योंकि बार बार इस्लाम में कहा गया। इल्म हासिल करो। इस्लाम को जहां मुहम्मद साहब (स.) जैसे नबी मिले। हज़रत अली जैसे वली मिले। जिन्हें दुनिया जहां का इल्म था। आफताब महताब का इल्म था। वहां इल्म की डोर सिर्फ मौलवियों ने पकड़ कर पूरी कौम को अपने बयानों से कुएं का मेंढक बनाकर छोड़ दिया। जहां दुनियाभर का इल्म होना चाहिए था, वहां ठीक से इस्लाम का इल्म भी नहीं रहा और मुसलमान “इस्लाम खतरे में” बताकर बहकाए गए।

स्कूल बनेंगे तो मुस्लिम बच्चे काबिल बनेंगे। मुसलमां की काबिलियत उसके ईमान का मजबूत होना भी है। काबिल बनेंगे तो मस्जिद भी बन जाएगी। स्कूल बनाने का ये फैसला हिन्दुस्तान के मुसलमानों की मिसाल होगा। इसका विरोध वही करेंगे, जो आज भी बहकाए में हैं कि इस्लाम खतरे में है। कोई मंदिर बनाता है तो बनाने दो क्योंकि हिंदू अभी अभी खतरे में आए हैं। हमें खतरे में बरस गुज़र गए। अब कौम को महफूज़ करने के लिए इल्म देना ही होगा। उनकी तरक्की के लिए। देश की तरक्की के लिए। सरकारें काम नहीं आतीं तो ना आएं। हमें खुद इस काबिल बनना होगा कि सरकार के फैसले हमारे बिना अधूरे रहें।

असगर

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