बिहार में सस्ता होकर रहेगा बालू, मधुबनी-सहरसा सहित 29 जिले में होगा बालू खनन; 13 नए जिले जुड़ेंगे

PATNA- अब 29 जिलों में होगा बालू खनन; 13 नए जिले जुड़ेंगे, खनन विभाग बना रहा योजना : प्रदेश में निर्माण कार्यों के लिए जनवरी से बालू की किल्लत दूर हो जाने की संभावना है। दूसरे चरण में आठ जिलों में स्थित 191 बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है। रविवार को पहले दिन 80 बालू घाटों की नीलामी की गई। बाकी 111 बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया सोमवार को संपन्न की जाएगी।

राज्य सरकार सभी जिलों में बालू खनन की योजना बना रही है। इसके लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने कार्ययोजना बनाना शुरू कर दिया है। इस समय 16 जिलों में ही बालू खनन की प्रक्रिया चल रही है। पहले 29 जिलों में बालू खनन होता था, लेकिन अब इनमें से 13 जिलों में खनन नहीं हो पाता। विभाग का मानना है कि सभी जिलों में बालू खनन होने से राजस्व में 30 से 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी तय है। लिहाजा शेष बचे जिलों को लेकर भी विभाग ने अपने स्तर से योजना बनाने की तैयारी में है।

ऐसे तो सूबे में 29 जिले बालू खनन के लिए उपयुक्त हैं। दो साल पहले तक 24 जिलों में बालू खनन हो रहा था, अब सिमटकर एक तिहाई जिले रह गए। वर्ष 2019 में राज्य सरकार ने 24 जिलों में बालू की बंदोबस्ती की थी। यहां बालू खनन का काम चल रहा था। लेकिन वर्ष 2020-24 के लिए बालूघाटों की बंदोबस्ती को पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त नहीं मिली थी। लिहाजा राज्य सरकार ने वर्ष 2015-19 के बालू बंदोबस्तधारियों को बंदोबस्ती राशि में 50 फीसदी वृद्धि के साथ 2020 के लिए बालूघाटों के संचालन का अधिकार सौंप दिया। लेकिन सरकार के इस निर्णय के बाद मात्र 14 जिलों के बंदोबस्तधारी ही बालूघाटों के संचालन के लिए तैयार हुए। शेष ने हाथ खड़े कर दिए।

पिछले साल यहां हो रहा था खनन : पटना, भोजपुर, सारण, गया, औरंगाबाद, रोहतास, नवादा, किशनगंज, वैशाली, बांका, मधेपुरा, बेतिया, बक्सर, अरवल (जमुई और लखीसराय में पहले बंद)

यहां बंद : गया, पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, जमुई और लखीसराय

इन प्रमुख 29 जिलों में होता है बालू का खनन : पटना, भोजपुर, सारण, रोहतास, औरंगाबाद, जमुई, बांका, लखीसराय, नवादा, किशनगंज, वैशाली, मधेपुरा, बेतिया, बक्सर, अरवल, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद, मोतिहारी, मधुबनी, सीवान, सुपौल, सहरसा, गोपालगंज, पूर्णिया, कैमूर

इधर, वर्ष 2021 के लिए पहली अप्रैल से फिर से बंदोबस्तधारियों को पुरानी राशि में 50 फीसदी वृद्धि के साथ छह माह के लिए बालूघाटों के संचालन की जिम्मेवारी सौंपी गयी। इस निर्णय पर कैबिनेट की मुहर भी लगी। लेकिन इनमें पांच जिलों के बंदोबस्तधारियों ने बालूघाट संचालन से इंकार कर दिया। इसके पहले जनवरी में गया में बंदोबस्तधारी पहले ही काम छोड़ चुका था। ऐसे में राज्य सरकार ने नए बंदोबस्तधारियों की तलाश शुरु की। लेकिन एनजीटी की रोक के कारण भी बालू खनन की प्रक्रिया अटक गयी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सूबे में नए सिरे से बालू खनन की प्रक्रिया शुरु की गयी है।

यहां हो रहा था खनन : नवादा, किशनगंज, वैशाली, बांका, मधेपुरा, बेतिया, बक्सर, अरवल

राज्य सरकार सभी जिलों में बालू खनन की योजना बना रही है। जिन जिलों में फिलहाल खनन नहीं हो रहा है, वहां इसकी तैयारी चल रही है। सभी जिलों में खनन शुरू होने के बाद हमारा राजस्व और बढ़ेगा।’ – जनक राम, खान एवं भूतत्व मंत्री

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