बैंड बाजे के साथ निकली वानर राज बंदर की अंतिम यात्रा, कार्ड छपवाया पांच हजार लोगों को कराया भोजन

NEW DELHI- बंदर की तेरहवीं भोज में शामिल हुए 5 हजार लोग, उज्जैन में विसर्जित हुई अस्थियां, कार्ड भी छपवाया, ठंड में तबियत बिगड़ने से हुई थी वानरराज की मौत, बैंड बाजे के साथ निकली वानर राज की अंतिम यात्रा : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजगढ़ (Rajgarh) जिले में एक बंदर की मौत के बाद गांव वालों ने बैंडबाजे के साथ परंपरागत तरीके से अंतिम संस्कार किया. डालूपुरा गांव के लोगों ने तीन दिन बाद एक जनवरी को वानरराज की अस्थियों को उज्जैन जाकर शिप्रा नदी में विसर्जित किया. इसके बाद बंदर की तेरहवीं के लिए कार्ड छपवाए गए. एक दर्जन गांव से चंदा जुटाया गया. 9 जनवरी गांव के एक व्यक्ति ने मुंडन करवाकर वानरराज का द्वादश कर्म किया. वहीं तेरह दिन बाद सोमवार को वानरराज की तेरहवीं पर महा भोजन प्रसादी का आयोजन किया. करीब 5 हजार लोगों ने वानरराज की याद में आयोजित महाप्रसादी में भोजन किया. गांव वालों के मुताबिक, वानरराज भगवान हुनमान का रूप हैं, जिसके चलते उन्होंने दाह संस्कार से लेकर तेरहवीं तक सभी कर्म विधि विधान से कराए.

राजगढ़ जिले के खिलचीपुर तहसील के डालूपुरा गांव में सोमवार को वानरराज की तेरहवीं का महाप्रसादी भोज आयोजित हुआ. गांव के सरकारी स्कूल में महाप्रसादी बनाई गई और आसपास के दो दर्जन गांवों के 5 हजार लोगों ने वानरराज की तेरहवीं में आकर महाप्रसादी पाई. डालूपुरा के साथ ही आसपास के गांवों से लोगों ने सहयोग राशि जुटाई थी. एक हजार किलो आटा, 350 लीटर तेल, 2500 किलो शक्कर, 100 किलो बेसन से तेरहवीं की प्रसादी बनाई गई. प्रसादी में बूंदी, सेव नमकिम, पूड़ी और कढ़ी बनाई गई थी.

ठंड में तबियत बिगड़ने से हुई थी वानरराज की मौत
राजगढ़ जिले की खिलचीपुर तहसील के डालूपुरा गांव के लोगों ने बताया कि 29 दिसंबर गांव में एक वानरराज की मौत हो गई थी. सुबह के वक्त वानर जंगल से गांव में आया था. रात के समय गांव में ही बैठा वानरराज अचानक ठंड से ठिठुरने लगा. लोगों ने वानर को गर्म कपड़े पहनाए और अलाव भी जलाया, लेकिन वानरराज को आराम होने के बजाए तबियत लगातार बिगड़ती चली गई. गांव वाले वानर को इलाज के लिए खिलचीपुर में पशु चिकित्सक के पास ले गए, जहां कुछ दवाइयों के साथ गांव वाले वानर को लेकर गांव में लौट आए, लेकिन देर रात वानर ने दम तोड़ दिया. बंदर की मौत से सारे गांव में लोग दुखी हो गए. सुबह अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया गया, रातभर लोगों ने वानरराज के शव के पास भजन गाए.

बैंड बाजे के साथ निकली वानर राज की अंतिम यात्रा
30 दिसंबर की सुबह पूरे गांव के लोग हनुमान मंदिर में जमा हो गए. वानरराज की अर्थी बनाई गई. अर्थी को डोली की तरह सजाया गया, फिर बैंड बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकली. वानरराज की अर्थी के आगे बैंड पर भजनों की धुन बज रही थी, तो वहीं वानरराज की अर्थी के पीछे चल रहे पुरुष रामनाम गा रहे थे और महिलाएं भजन गाती चल रही थी. शमशान में पहुंचने के बाद पूरे गांव की आंखे नम हो गई. यहां विधि विधान से वानरराज का अंतिम संस्कार किया गया. मुंडन कराने वाले हरीसिंह ने वानरराज की चिता को मुखाग्नि दी.

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR  आप हमे फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और Whattsup, YOUTUBE पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *