बाबाधाम में आज शिवरात्री से पहले होगी विशेष पूजा, वैद्यनाथ-पार्वती मंदिर के शिखर से उतरा गया पंचशूल

देवघर में बाबा वैद्यनाथ-पार्वती मंदिर के शिखर से उतरे पंचशूल– बाबा वैद्यनाथ और पार्वती मंदिर के शिखर से रविवार काे पंचशूल उतारा गया। इस अलाैकिक क्षण के गवाह बनने और इसके स्पर्श को श्रद्धालु उमड़ पड़े। हर साल फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी पर पंचशूल उतारे जाते हैं। अब साेमवार काे विशेष पूजा हाेगी, इसके बाद पंचशूल फिर मंदिर पर स्थापित किया जाएगा। वहीं महाशिवरात्रि तक अब बाबा मंदिर में गठबंधन पूजा पर राेक रहेगी। मान्यता है कि अगर श्रद्धालु जलार्पण नहीं कर सकते ताे पंचशूल के दर्शन से ही उन्हें बाबा के दर्शन जैसा फल मिलता है।

पंचग्रही योग में महाशिवरात्रि कल; मकर राशि में रहेंगे बुध, शुक्र, मंगल, शनि व चंद्र

मार्च की पहली तारीख को महाशिवरात्रि होगी। इस साल महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग बन रहा है। 1 मार्च को बुध, शुक्र, मंगल, शनि और चंद्र मकर राशि में रहेंगे। सूर्य-गुरु कुंभ राशि में रहेंगे। इस बार शिवरात्रि मंगलवार को मनाई जाएगी और इस वार का कारक ग्रह मंगल मकर में उच्च का रहेगा। शनि खुद की मकर राशि में रहेगा। बुध-शुक्र भी मित्र राशि में रहेंगे। यह पंचग्रही योग द्वादश भाव में प्रात:कालीन गोचर में बन रहा है। ज्यातिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया कि कामिक नामक ग्रंथ में कहा गया है कि सूर्य के अस्त समय यदि चतुर्दशी हो, तो उस रात्रि को शिवरात्रि कहते हैं। यह उत्तमोत्तम होती है और शास्त्रों में चतुर्दशी और धनिष्ठा नक्षत्र की युति को ही शिवरात्रि मनाने का प्रावधान है, जो कि मंगलवार की रात को है। यह दिन शिवजी की कृपा प्राप्ति और ऐश्वर्य प्राप्ति का दुर्लभ अवसर बन गया है। मंगलवार को मंगल प्रधान धनिष्ठा नक्षत्र होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। शिव योग भी है जो अत्यंत शुभ योग है।

अष्टमूर्ति को आठ मंत्रों से पुष्पांजलि
ऊँ शर्वाय क्षितिमू‌र्त्तये नम:। ऊँ भवाय जलमू‌र्त्तये नम:। ऊँ रुद्राय अग्निमू‌र्त्तये नम:। ऊँ उग्राय वायुमू‌र्त्तये नम:। ऊँ भीमाय आकाशमू‌र्त्तये नम:। ऊँ पशुपतये यजमान मू‌र्त्तये नम:। ऊँ महादेवाय सोममू‌र्त्तये नम:। ऊँ ईशानाय सूर्यमू‌र्त्तये नम:।

भगवान शिव को धतूरा समेत 12 फूल हैं प्रिय
शिवजी की प्रसन्नता के लिए शिव पूजा के विशेष उपायों में अन्य पूजा सामग्रियों के अलावा शिव को विशेष फूल अर्पित करने का भी महत्व बताया गया है। शिवजी को अर्पित किये जाने वाले 12 तरह के पुष्प: मन्दार, मालती, धतूरा, सिंदुवार, अशोक, मल्लिका, कुब्जक, पाटल, आंकड़े, कदम्ब, लाल और नीला रंग का कमल, कनेर।

महाशिवरात्रि पर काल सर्प दोष का करें उपाय
उपाय यदि आप की कुंडली में काल सर्प दोष के लक्षण हैं तो इस छोटी सी क्रिया को शिवरात्रि पर सुबह, दोपहर और शाम करें। साथ ही इस क्रिया को हर सोमवार करें। भगवान शिव की पांच मंत्रों से पंचोपचार विधि पूर्वक सफेद चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाते हुए पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति पायी जा सकती है। ये हैं मंत्र: ॐसद्योजाताय नम:। ॐवामदेवाय नम:। ॐअघोराय नम:। ॐईशानाय नम:। ॐतत्पुरुषाय नम:।

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