बसंत पंचमी : मां सरस्वती के साथ होती है कामदेव की पूजा, पति-पत्नी रखें इन बातों का ख्‍याल

New Delhi: बसंत पंचमी का पर्व इस साल 29 जनवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, बसंत पंचमी का त्योहार माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है जो कि इस बार 29 जनवर 2020 को पड़ेगी। आज ही के दिन मां सरस्वती प्रकट होकर संसार को स्वर प्रदान किया था। माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के त्योहार पर लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के फूलों से मां सरस्वती की पूजा करते हैं। मां सरस्वती की पूजा करने के समय उनकी आरती करने का भी विशेष महत्व है।

आमतौर पर हिंदू धर्म में बसंत पंचमी (Basant Panchami) बहुत धूमधाम से मनायी जाती है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर विद्या की देवी वीणावादिनी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। विद्यार्थियों के साथ आम लोग भी मां सरस्वती की पूजा करते हैं और विद्या, बुद्धि और ज्ञान अर्जित करने की प्रार्थना करते हैं।

लेकिन क्या आपको मालूम है कि बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन सिर्फ मां सरस्वती ही नहीं बल्कि प्रेम के देवता कामदेव की भी पूजा की जाती है। इसके साथ ही इसी दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का बहुत महत्व है। वास्तव में वसंत ऋतु को कामदेव की ऋतु मानी जाती है। कहा जाता है कि इस मौसम में प्रत्येक मनुष्य के शरीर में विभिन्न तरह के बदलाव होते हैं। इसलिए वसंत ऋतु को खुशनुमा और प्यार का मौसम भी माना जाता है।

इस वजह से पूजे जाते हैं कामदेव : वास्तव में बसंत पंचमी वसंत ऋतु का आगमन होने के कारण मनायी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वसंत और कामदेव काफी घनिष्ठ मित्र थे। जिसके कारण बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि बसंत पंचमी को रतिकाम महोत्सव भी कहा जाता है क्यों कि इस दिन कामदेव के साथ ही उनकी पत्नी रति की भी पूजा होती है।

बसंत पंचमी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा : इस विशेष अवसर पर मां सरस्वती और कामदेव के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन तड़के सुबह उठकर सर्वप्रथम पूरे शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद नहा लेना चाहिए। इसके बाद पीला वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर अच्छी तरह से श्रृंगार करना चाहिए और भगवान को भी पीले रंग का वस्त्र पहनाकर विभिन्न तरह के फलों का भोग लगाना चाहिए और विधि विधान से या पंडित के बताये अनुसार पूजा करना चाहिए। मां सरस्वती की पूजा करने से पहले भगवान गणेश, सूर्य देवता, विष्णु और शिव सहित अन्य देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

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