सावधान! छूट के नाम पर बाजार में बिक रही नकली दवाएं, जांच में 42 प्रतिशत दवाएं म‍िलीं नकली

दवा बाजार में मुनाफाखोरी अपने चरम पर है। अधोमानक दवाएं खुलेआम बेची जा रही हैं। दुकानों पर 20 से 40 फीसद तक की छूट के बोर्ड लगे हैं। जबकि असली दवाओं पर इतनी छूट संभव ही नहीं है, क्योंकि फुटकर दुकानदारों को 12 से 20 फीसद का ही लाभ होता है। ड्रग विभाग आंख मूंदकर दुकानों के सामने से गुजर जा रहा है, उसे 40 फीसद तक छूट के बोर्ड नजर नहीं आ रहे हैं। इसका खामियाजा किसी तरह पैसे का इंतजाम कर दवाएं खरीदने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। दवाएं अधोमानक होंगी तो मर्ज कैसे ठीक होगा?

ड्रग विभाग जांच की खानापूरी कर रहा है। जनवरी से लेकर सितंबर तक 75 नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। उनमें से 52 की रिपोर्ट आ गई है। इसमें केवल 30 दवाएं ही मानक के अनुरूप मिली हैं, 22 अधोमानक पाई गई हैं। यह तब है जब कोरोना संक्रमण को लेकर ड्रग विभाग बहुत सतर्क था। बावजूद इसके दुकानों पर खुलेआम अधाेमानक दवाएं बिकती रहीं।

इस दौरान नकली दवाओं की खेप भी मिली लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। जो दुकानदार 40 फीसद छूट पर दवाएं बेच रहे हैं, विभाग ने उनसे यह पूछने की भी कोशिश नहीं की कि इतनी मार्जिन कौन सी कंपनी देती है? ड्रग विभाग की लापरवाही का फायदा दुकानदार उठा रहे हैं। मुनाफा के आगे उनकी संवेदना मर चुकी है।

बिना लाइसेंस के चलने वाले मेडिकल स्टोरों की जांच के लिए शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा। नियम विरुद्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 30 सितंबर तक जनपद के विभिन्न मेडिकल स्टोरों से 75 सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। 52 की रिपोर्ट आई है इसमें से 30 दवाएं सही पाई गई हैं। शेष अधोमानक मिली

थोक व फुटकर दवा की मार्जिन तय है। फिर भी विगत एक साल से शहर में मेडिकल स्टोरों पर डिस्काउंट बोर्ड लगाने की होड़ मची है। 20 से 40 फीसद तक छूट का बोर्ड लगाकर दवाएं बेची जा रही हैं जबकि मार्जिन केवल 12 से 20 फीसद तक ही है। वे इतनी छूट कैसे दे रहे हैं, यह जांच का विषय है। अधोमानक दवाओं के कारोबार पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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