बिहार के ऑटो चालक की बिटिया नेहा को सलाम, सैलरी मिलते ही मम्मी-पापा को खरीद कर दिया घर

पटना 24 अप्रैल 2023 : बिहार की बेटी नेहा को सलाम, अपनी कमाई से मम्मी-पापा को गिफ्ट में खरीदकर दिया 35 लाख का घर : आज हम आपको बिहार की एक बेटी नेहा की कहानी सुनाने जा रहे हैं. बिहार की नेहा ने एक ऐसा काम किया जिस काम के बाद समाज में वह रोल मॉडल बन कर उभरी है. हम सब जानते हैं कि हमारे माता-पिता हमें जन्म देते हैं पालन पोषण करते हैं और पढ़ा लिखा कर बड़ा बनाते हैं. बड़े बनने के बाद हमारा भी कुछ दायित्व होता है. सामाजिक बंधन की माने तो शादी के बाद बेटियों का माता-पिता के प्रति कोई खास कर्तव्य नहीं रहा है. अधिकांश काम बेटों के जिम्मे में सौंप दिया गया है. लेकिन नेहा ने सामाजिक बंधन को तोड़ते हुए वह काम कर दिया जो एक बेटे को करना चाहिए था.

नेहा बताती है कि मेरे माता-पिता किराए के मकान में रहते थे. मैंने देखा है स्कूल से लेकर कॉलेज तक पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए पापा हर एक जगह स्ट्रगल करते थे. अपनी जरूरतों की सामान को लाने के बदले हमारे लिए पैसा खर्च करते थे. इसलिए मुझे आज भी याद है मैं उस समय ऐमेज़ॉन में नौकरी कर रही थी. मेरे पास अच्छे खासे पैसे जमा हो गए थे. मैंने मम्मी पापा को बताए बिना एक अपार्टमेंट खरीदा जिसकी कीमत ₹3500000 थी. घर खरीदने के बाद वह अपार्टमेंट मैंने मम्मी पापा को गिफ्ट कर दिया .

नेहा ने अपने माता-पिता को अपनी पहली कमाई से 35 लाख का घर गिफ्ट किया है। नेहा के पिता मुकेश मोहन मिश्रा पैसे से ऑटो ड्राइवर थे और उन्होंने अपना 40 साल किराए के मकान में गुजारा है।

मुकेश मोहन मिश्रा बताते हैं कि 1989 में उन्होंने ऑटो खरीदा, तब से 2014 तक अपने परिवार का जीवन-यापन ऑटो की कमाई से किया। 2014 में हाईकोर्ट से केस जीतने के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में परिचारी के पद पर 12000 मासिक वेतन पर नौकरी हुई। मुकेश के अनुसार, बहुत मुश्किल से हमने ऑटो चला कर बेटी नेहा को पढ़ाया। नेहा की नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा माउंट कार्मेल भागलपुर से हुई है।

बेटी द्वारा घर गिफ्ट करने पर मां शारदा मिश्रा ने खुशी जाहिर कर कहा, भगवान ऐसी बेटी सबको दे। शारदा मिश्रा कहती हैं, किस तरह मैंने शादी के बाद किराए के मकान में गुजारा यह बयां नहीं कर सकती। अपना मकान न होने से छोटी-छोटी बातों पर मकान मालिक से सुनना पड़ता था। अब यह सब सुनना नहीं पड़ेगा, क्योंकि मेरी बेटी ने मुझे अपना घर दे दिया।

नेहा बताती हैं, 2020 में जब देश में कोरोना फैला तो घर की दिक्कत हुई। मकान मालिक मकान खाली करवा रहे थे। नए मकान खोजने में परेशानी हुई। तब मेरी नई जॉब लगी थी, तो मैंने पापा से कहा, हमें नया मकान लेना चाहिए। पापा नहीं माने। बोले-इतने पैसे नहीं हैं कि घर खरीद सकूं। बनाना होगा तो भविष्य में जगदीशपुर में पैतृक आवास पर घर बनाऊंगा। फिर मैंने पापा को बिना बताए सैलरी अकाउंट से लोन अप्लाई किया, तो 30 लाख का लोन अप्रूव हो गया। पापा से कहा, किराया जितना ही ईएमआई भरेंेगे। तब पापा तैयार हुए। जीरोमाइल में बसंत विहार कॉलोनी में दिसंबर 2021 में टू बीएचके फ्लैट बुक की और घर की चाबी सौंपी। अभी यहां मेरे अलावा मां शारदा मिश्रा, पापा और दादी रहती हैं। मेरा छोटा भाई हैदराबाद से ही बीकॉम कर रहा है।

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR  आप हमे फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और WHATTSUP, YOUTUBE पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *