विदेश में नहीं भूले अपनी संस्कृति, मना रहे छठ। एक महीने पहले देते हैं फलों के आर्डर

स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग में छठ आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां वाटर ऑफ लेथ और ग्राटन बीच पर बिहार के लोग छठ मनाते हैं। इसके लिए बीच पर सजावट भी की जाती है। पिछले दस वर्षों से वहां रह रही अखाड़ाघाट की आकांक्षा बताती हैं कि वह एक रेस्टारेंट में मैनेजर हैं। पति भी जॉब में हैं। एडिनबर्ग में करीब 50 बिहारी रहते हैं, जो सामूहिक रूप से छठ करते हैं। इसके लिए हमलोग यहां इंडियन शॉप को एक महीने पहले केला, सेब, नाशपाती, सूप और दउरा सहित केले के थम का ऑर्डर देते हैं। सामूहिक रूप से हमलोग ठेकुआ बनाते हैं। नहाय-खाय से लेकर छठ व्रत भारतीय परंपरा और आस्था से किया जाता है।

आकांक्षी कहती हैं कि जाड़े के सीजन में यहां बारिश खूब होती है, लेकिन उत्साह इतना रहता है कि हमलोग भीगते हुए छठ मनाते हैं। हमलोगों के उत्सव में यहां रहने वाले लोग भी शामिल होते हैं।

न्यूहार्टफोर्ड में रहने वाले कलमबाग चौक के डॉ अभिषेक सिंह अमर वहां हैमिलटन कॉलेज में इतिहास के प्राध्यापक हैं. ये पहले बिहार झारखंड एसोसिएशन की ओर से मनाए जाने वाले छठ पर्व में शामिल होते थे, लेकिन अब वीडियो कॉल से यहां घर पर होने वाले छठ पर्व को देखते हैं. डॉ अभिषेक बताते हैं कि वे जहां रहते हैं, वहां से एसोसिएशन की ओर से आयोजित छठ महोत्सव दूर होता है, इसलिए जाना संभव नहीं हो पाता. अब दिन भर वीडियो कॉल से अपने गांव में होने वाले छठ से जुड़ रहते हैं और यहीं से सूर्य देव को प्रणाम करते हैं. छठ पर घर की बहुत याद आती है, लेकिन हर बार घर जाना संभव नहीं हो पाता. छठ हमारी आस्था से ऐसे जुड़ा है कि कहीं भी रहे, इस पर्व पर घर की याद जरूर आती है।

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