PATNA (POLITICAL OPINION) : क्या नीतीश ने सचमुच बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है। बुधवार को नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार और गुरुवार को नव नियुक्त मंत्रियों के विभाग वितरण के साथ ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। एक तरफ अगर संख्याबल को देखें तो निश्चित रूप से नीतीश कैबिनेट में बीजेपी विधायकों की संख्या जेडीयू के मंत्रियों से डेढ़ गुणा से भी ज्यादा है। अगर जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को जोड़ दें तो कुल संख्या 22 हो जाती है । लेकिन जब विभागों की बात की जाए तो बीजेपी कोटे के तहत जो विभाग बीजेपी मंत्रियों के पास थे उसी का बंटवारा नव नियुक्त मंत्रियों के बीच हुआ है।
इसमें 6 मंत्रियों के पर कुतरे गए है और सबसे ज्यादा नुकसान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिंहा को हुआ है और लॉटरी नितिन नवीन का खुला है कि पथ निर्माण विभाग विजय सिंहा से लेकर नितिन नवीन को मिल गया है। जबकि सम्राट चौधरी जस के तस है।
विजय सिंहा को दोहरा नुकसान हुआ है उन्हें पथ निर्माण के बदले कृषि तो मिल गया लेकिन उनसे कला संस्कृति विभाग भी छीन गया है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को भी झटका लगा है और कृषि विभाग के बदले उनके हाथ में विधि विभाग का झुनझुना थमा दिया गया है। वही हाल प्रेम कुमार और नीतीश मिश्रा का है जिनसे वन पर्यावरण और पर्यटन विभाग के लिया गया है। जबकि पीएम के सबसे प्यारे केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे के हाथ से भी आपदा सूचना प्रावैधिकी ले लिया गया है।
नए मंत्रियों में सबसे ज्यादा लाभ संजय सरावगी को दिलीप जायसवाल वाला विभाग राजस्व एवं भूमिसुधार एवं ta जीवेश मिश्रा जिनको नितिन नवीन का विभाग नगर विकास मिला है।यानि संख्या बल जो हो जेडीयू के मंत्रियों के विभाग में कोई फेर बदल नहीं हुआ है तो आखिर नीतीश ने सरेंडर कैसे किया ।
आज सुबह ही राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का एक पोस्ट सोशल मीडिया पर पढ़ा जिसमें उन्होंने मंत्रिमंडल के विस्तार में नीतीश का कद छोटा होने और बीजेपी के समक्ष सरेंडर करने की बात कही है। शिवानंद ने तो यह भी दावा किया कि आगामी चुनाव के लिए नीतीश को अपना नाम घोषित कराने के लिए बेटे निशांत का सहारा लेना पड़ रहा है, चूंकी भागलपुर में मोदी ने नीतीश के नाम का ऐलान नहीं किया। दूसरी ओर राजद ने भी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के यही आरोप लगाया है।
दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो नए मंत्रियों में तीन राजू सिंह मंटू और डॉक्टर सुनील ऐसे मंत्री है जो जदयू के बागी रहे है। राजू को तो वीआईपी पार्टी को तोड़ने का इनाम मिला है तो मंटू को कुर्मी रैली और सुनील को जेडीयू के उम्मीदवार को हराने का पुरस्कार मिला है। तुर्रा दाद में खुजली राजू सिंह का 302 का मुजरिम होना है। यानि नीतीश जी लव कुश समीकरण में सेंधमारी करने और सुशासन की रेसीपी को नेस्तनाबूद करने के लिए यह मंत्रिमंडल का विस्तार है। इसका आने वाले दिनों में। क्या असर होगा इस पर विस्तृत चर्चा हम बाद में करेंगे, फिलहाल कह सकते है कि आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी बिहार में विधायक और मंत्रियों की संख्या में जेडीयू का बड़ा भाई बन गई है।
लेकिन मंत्रिमंडल के विभाग की बात करें तो उसकी हैसियत जस की तस है। यही वजह है कि बीजेपी के पुराने और सीनियर मंत्रियों के पर कुतरे जाने से भारी नाराजगी है तो जेडीयू के साथ आने की आस लगाए राजद का मंसूबा फेल होने से वह परेशान हैं । वहीं जेडीयू में किसी नए चेहरे को जगह नहीं मिलने से उसके विधायक भी परेशान हैं।
फिलहाल कह सकते है कि नीतीश भले ही मुख्यमंत्री हों और उनके बिना एक पत्ता भी किसी विभाग में ना हिलता हो लेकिन कैबिनेट की बैठक में जब बीजेपी मंत्रियों की फौज नीतीश के दाएं और बाएं ही नहीं सामने भी बैठेगी तो नीतीश सहज तो नहीं ही दिखेंगे ।लेकिन राजनीति हो या जंग का मैदान आगे की जीत के लिए दो कदम पीछे हटना पड़ता है, जैसा लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने नीतीश को साथ लेकर किया था।
अब नीतीश की बारी है इसलिए उन्होंने भी दो कदम पीछे हटकर आगे की रणनीति बनाने की सोची होगी चूंकी सीएम जो उन्हें बनना है । फिलहाल देखिए आगे आगे होता है क्या।
लेखक : अशोक कुमार मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार सह सम्पादक