जम्मू कश्मीर में शहीद हुआ बिहार का लाल, आरा पहुंचा पार्थिव शरीर, परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल

पटना 2 मई 2023 : जिस बेटे ने फोन कर सुबह सुबह मां-बाप का हाल जाना था. पत्नी से प्यार भरी बातें की थी. बच्चों की मनुहार को सुना था. वही बेटा दोपहर के बाद इस दुनिया में नहीं रहा यह खबर भी फोन पर आ गई. बेटे के दोस्त और भारतीय जवान द्वारा फोन पर बताया गया कि आपका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा. कहा गया कि एंबुलेंस हादसे में आपकी बेटे की मौत हो चुकी है.

शनिवार को सेना के एंबुलेंस के खाई में पलटने से दो जवानों की मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के केरी सेक्टर में डांगी नाला के समीप सेना के एम्बुलेंस के गहरी खाईं में पलट जाने से बलिदान हुए भोजपुर के शहीद सुधीर का पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह उनके पैतृक गांव चांदी थाना क्षेत्र के कुंजन टोला लाया गया।

तिरंगे में लिपटे पति का शव देख माता-पिता, पत्नी और तीनों बहनें फूट-फूटकर रोई। उनकी करुण चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया। रिश्तेदार और आसपास के लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे थे। इस दौरान एसपी प्रमोद कुमार एवं डीडीसी बिक्रम वीरकर समेत कई अफसरों ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की‌। दानापुर रेजिमेंट से आए जवानों ने अंतिम सलामी दी‌। बड़हरा के महुली गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।बड़े पुत्र सुशील उर्फ विशाल ने मुखाग्नि दी।

तिरंगे में लिपटे पति का शव देख माता-पिता, पत्नी और तीनों बहनें फूट-फूटकर रोई। उनकी करुण चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया। रिश्तेदार और आसपास के लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे थे। इस दौरान एसपी प्रमोद कुमार एवं डीडीसी बिक्रम वीरकर समेत कई अफसरों ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की‌। दानापुर रेजिमेंट से आए जवानों ने अंतिम सलामी दी‌। बड़हरा के महुली गंगा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।बड़े पुत्र सुशील उर्फ विशाल ने मुखाग्नि दी।

सोमवार की रात करीब नौ बजे की फ्लाइट से जवान सुधीर का शव पटना लाया गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को दानापुर रेजिमेंट सेंटर में रखा गया। सेना के जवानों और अधिकारियों द्वारा उन्हें अंतिम सलामी दी गई। सोमवार की अहले सुबह छह बजे उनका शव उनके पैतृक कुंजन टोला लाया‌ ।

मौत की सूचना मिलते ही घर मे हाहाकार मच गया था‌। अचानक रोने-पीटने की आवाज सुन आसपास के लोग उनके घर की ओर दौड़े तो उन्हें भी यह मनहूस खबर पता चली। इसके बाद उनके दरवाजे पर भीड़ बढ़ती गई थी। घटना की सूचना मिलते ही तीनों बहनें मुन्नी, पार्वती और विरदाकिरत रोते-बिलखते मायके पहुंची। बहनें बार बार एक ही बात रट रही थी कि अब हमनी के लियावे के जाइ हो भइया…केकरा हथवा प रखिया बांधम जा हो भइया। इधर, मां समाहुता देवी रोते-रोते अचेत हो जाती। पत्नी सुनीता के मुंह से बोल नहीं फुट रहे थे‌। उन्हें चांदी के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था।

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