19 March 2025

अभी-अभी : नहीं रहे बिहार के पूर्व एमएलसी कामेश्वर चौपाल, राम मंदिर आंदोलन में था महत्वपूर्ण योगदान

अभी अभी इस वक्त की एक बड़ी खबर सामने आ रही है बताया जा रहा है कि राम मंदिर आंदोलन से जुड़े और बिहार की राजनीति के बड़े नेता कामेश्वर चौपाल का निधन हो गया है. उनके निधन के बाद बिहार की राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. लोग सोशल मीडिया में शोक संवेदना व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. बताते चले की कामेश्वर चौपाल बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य रह चुके हैं इतना ही नहीं राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का उन्हें ट्रस्टी भी बनाया गया था. उनके बारे में कहा जाता है कि वह राम मंदिर आंदोलन में पहले कार सेवक थे.

कैसा रहा पॉलीटिकल करियर

साल 2004 से लेकर 2014 तक वे बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे. कई बार उन्होंने बिहार विधानसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पाए. एक बार तो उन्होंने अपनी राजनीतिक गुरु रामविलास पासवान के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था. उनका बचपन बिहार के मधुबनी जिले में बीता है और पढ़ाई-लिखाई भी मधुबनी से हुई है

शोक संवेदना व्यक्त कर रहे लोग

दरभंगा जिला किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष संजय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने कहा कि राम मंदिर की पहली ईंट रखने वाले, पूर्व विधान पार्षद, दलित नेता, श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के स्थाई सदस्य, विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रहे, श्री कामेश्वर चौपाल जी के निधन की खबर सामाजिक क्षति है।उन्होंने सम्पूर्ण जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों में समर्पित किया। मां भारती के सच्चे लाल थें। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके परिजनों को संबल प्रदान करें।

 

वहीं कुंदन कर्ण अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि बहुत ही दुःखद समाचार सुनने मे आया है- माननीय कामेश्वर चौपालजी का निधन हो गया है। अभी कुछ महीने पहले दिल्लीके गंगाराम अस्पताल मे बायपास सर्जरी हुई थी। आप श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी हैं, आपके ही करकमलों से 1989 मे श्रीराम जन्मभूमि का शिलान्यास करवाया गया था।
सौभाग्य से एक वर्ष पहले मुझे परम् आदरणीय श्री कामेश्वर चौपालजी के दर्शन का सौभाग्य मिला। बहुत ही विनम्र और दृढ़संकल्पी व्यक्तित्व था आपका। जब मैंने इन्हें अपने गांव का नाम बताया तो कई पुराने लोगों के नाम बता दिए। प्रचारक जीवन का आरम्भ दरभंगा से किया था , 5 दशक बाद स्मृतियां वैसी ही हैं। इनके चरणस्पर्श से लगा संदेश सीधे भगवान राम तक पहुंचा है।

यदि कोई पूछे कि राम किसके हैं तो उत्तर है राम सबके हैं लेकिन कोई पूछे कि राम सबसे अधिक किसके हैं तो उत्तर है दीन दुःखी उपेक्षित दलित के। रामके जीवन मे सबसे अधिक महत्व वंचित समाज का रहा चाहे वो निषादराज हों या शबरी या कामेश्वर चौपाल जी या मोदी जी। रामने सबको पार उतारा पर राम को पार उतारने मे हमेशा वंचित ही आगे रहे।
जब तक सूर्य चन्द्रमा रहेगा कामेश्वरजी का नाम रहेगा।
शत शत नमन

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