PATNA (Bihar boys made amazing plan for Kumbh, easily reached Prayagraj, no traffic jam) : बिहार के बक्सर के कम्हरिया गांव के सात युवकों ने महाकुंभ मेले में यातायात से बचने के लिए मोटर चालित नाव से 550 किलोमीटर की यात्रा कर प्रयागराज तक का सफर तय किया। पेशेवर नाविकों से युक्त इस समूह ने 11 फरवरी को अपनी यात्रा शुरू की और 13 फरवरी को संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुंचे.
ताजा अपडेट के अनुसार इन दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर कुंभ मेले का आयोजन किया गया है, लगातार संगम स्नान के लिए लाखों करोड़ों लोगों की भीड़ उमड़ रही है. देश का कोई ऐसा रेलवे स्टेशन नहीं है जहां से भर—भर गाड़िया प्रयागराज या उत्तर प्रदेश के किसी अन्य स्टेशन पर नहीं पहुंच रहा है. एक तरह से कहा जाए तो स्थिति बद से बढ़तर हो चुकी है.
इसी बीच बिहार के कुछ लड़कों ने जाम से बचने के लिए बिहारी बुद्धि को अप्लाई किया और असंभव को संभव कर दिखाया. इन लोगों ने सड़क मार्ग में जाम से बचने के लिए नदी का रास्ता इख्तियार किया और नाव के सहारे बिहार के बक्सर से प्रयागराज अर्थात संगम तट पर जा पहुंचे.
इन लोगों का दावा है कि इन लोगों ने 550 किलोमीटर की दूरी को मात्र 84 घंटे में तय करके दिखा दिया. इन लोगों का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है.
बिहार में एक जिला है जिसका नाम है बक्सर. वही बक्सर जहां भगवान श्री राम ने विश्वामित्र के साथ ताड़का का वध किया था. इसी बक्सर जिले में एक गांव है जिसका नाम है कमहरिया. यहां के कुछ लड़कों ने प्रयागराज जाने का प्लान बनाया लेकिन उनके मन में डर था कि बाय रोड या बाय ट्रेन जाएंगे तो परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
पहले उन लड़कों का नाम जान लीजिए जिन्होंने प्रयागराज जाने का प्लान बनाया था. मनु चौधरी, सुमंत, संदीप, सुखदेव, आदू, रविन्द्र और रमेश ने अपने दोस्तों के साथ मिल बैठकर यह प्लान बनाया कि जाम से बचने के लिए यह लोग नाव से प्रयागराज तक की यात्रा करेंगे.
नाव से यात्रा पर निकलने से पहले इन लोगों ने जबरदस्त होमवर्क किया जिस कारण रास्ते में कहीं भी किसी तरह की परेशानी से यह लोग बच गए. बीच रास्ते में हादसा ना हो जाए इसलिए सबसे पहले एक मजबूत नाव का चयन किया गया और उसमें एक के बदले दो मोटर लगाए गए. उन्होंने सोचा कि बीच रास्ते में अगर एक मोटर खराब हो जाता है तो भी दूसरा मोटर लगाने से काम चलता रहेगा. इसके साथ ही नाव पर गैस चूल्हा और सिलेंडर रखा गया और राशन पानी के साथ-साथ सभी जरूरी सामान को रख लिया गया.
दिलचस्प यह है कि नाव यात्रा के दौरान इन लड़कों ने नेविगेशन के लिए गूगल मैप्स का इस्तेमाल किया, यहीं कारण था कि वे लोग गंगा नदी के जटिल मार्ग को सोचने समझने के बाद रात के अंधेरे में सुरक्षित मार्ग पर चलते रहे। यात्रा के दौरान दो व्यक्ति नाव चलाते थे, जबकि अन्य वहीं रहते थे। यात्रा के दौरान इन लोगों ने 20 लीटर पेट्रोल, सब्जियां, चावल, आटा और बिस्तर आदि की व्यवस्था की। लेकिन वे फोन पॉवर बैंक पैक करना भूल गए, जो एक छोटी सी परेशानी थी, जिसका जिक्र मनु ने हंसते हुए किया। फिर भी, उनकी यात्रा बिना किसी बाधा के पूरी हो गई।
लोगों से अपील करते हुए इन लोगों ने बताया कि जल मार्ग का रास्ता कोई आसान मार्ग नहीं है। अगर आप प्रोफेशनल तरीके से नाव चलाना नहीं जानते हैं तो आपको नाव यात्रा करने से बचना चाहिए। हम सभी लोग तैराना जानते हैं। इसके बावजूद हमने सेफ्टी का पूरा ध्यान रखा।
इन लोगों का यह भी दावा है की मोटर अधिक चलने के कारण इंजन गर्म हो जाया करता था जिसे आराम देने के लिए हर 5 से 7 किलोमीटर पर यह लोग मशीन को बंद कर देते थे और नाव को खुद लग्गा के सहारे चलते थे.
पुरी यात्रा के दौरान कितना खर्च हुआ इस बात का जवाब देते हुए इन लड़कों ने बताया कि लगभग 20000 रुपए खर्च हुए हैं. नाव से सफर तय कर यह लोग 13 फरवरी की सुबह को प्रयागराज पहुंचे और संगम स्नान करने के बाद वहां से विदा हो गए। तीन दिन के बाद अर्थात 16 फरवरी की रात 10:00 बजे तक अपने घर बक्सर पहुंच गए।