CM नीतीश का बड़ा फैसला, मात्र 6 दिन में बनेगा बर्थ सर्टिफिकेट, कैबिनेट बैठक में बिल पास

बिहार कैबिनेट का फैसला : छह दिनों में बनेंगे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र

जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र प्रदान करने को भी लोक सेवा का अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) के दायरे में लाया गया है। इसके तहत अब ये दोनों प्रमाणपत्र आवेदन करने के अधिकतम छह कार्यदिवस में मिलेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने सात प्रस्तावों पर मंजूरी दी।

बैठक के बाद कैबिनेट के प्रधान सचिव दीपक प्रसाद ने कहा कि आरटीपीएस में पहले से 61 सेवाओं को शामिल किया गया है। इसमें अब जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के निर्गत को भी शामिल किया गया है। दोनों प्रमाणपत्र प्रखंड के सांख्यिकी पर्यवेक्षक निर्गत करेंगे। इनके यहां जन्म अथवा मृत्यु के एक माह के अंदर आवेदन देना होगा। छह दिनों के अंदर प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर इसके लिए जिला स्तर पर जिला साख्यिकी पर्यवेक्षक और उसके बाद जिलाधिकारी के यहां अपील का प्रावधान भी रखा गया है। दोनों ही स्तर पर अपील का निष्पादन 15-15 दिनों के अंदर होगा। एक माह से अधिक दिनों के बाद आवेदन करने पर इसके लिए प्रमाणपत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) के स्तर से निर्गत होगा। जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त में अगर बाद में नाम जुड़वाना है तो इसके लिए भी बीडीओ को अधिकृत किया गया है।

अन्य किसी संस्थानों के गृह रक्षकों के आश्रितों को चार लाख
राज्य सरकार के अलावा अन्य किसी संस्थानों में प्रतिनियुक्त गृह रक्षकों की ड्यूटी के दौरान मृत्यु होती है तो उनके आश्रितों को भी चार लाख का अनुग्रह अनुदान दिया जाएगा। इस अनुदान डीजी, गृह रक्षा वाहिनी के स्तर से भुगतान होगा। यह वर्ष 2010 से ही प्रभावी होगा। इसका तत्काल लाभ 32 गृह रक्षकों के आश्रितों को मिलेगा।

फिटनेस, टैक्स डिफॉल्टर वाहनों के लिए आयी माफी योजना
टैक्स डिफॉल्टर व्यवसायिक वाहन मालिकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। टैक्स डिफाल्टर निबंधित या अनिबंधित ट्रैक्टर-ट्रेलर, जो कृषि या व्यावसायिक कार्यों में प्रयुक्त हैं, उनके मालिक 25 हजार जमाकर वाहन को निबंधित या विनियमित करा सकते हैं। इसी प्रकार सभी प्रकार के निबंधित या अनिबंधित व्यावसायिक या मालवाहक वाहन जो एक साल पूर्व तक टैक्स डिफॉल्टर हैं, तो उन्हें बकाया कर के अतिरिक्त कुल अर्थदंड का मात्र 30 प्रतिशत राशि जमा करनी होगी। अगर एक साल से अधिक दिनों से डिफॉल्टर है, तो उनके बकाया कर के अलावा कुल आर्थिक दंड का 50 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। ऐसा करने वाले वाहन मालिकों के नीलामपत्र वाद भी वापस ले लिये जाएंगे। शर्त यही होगी इस माफी योजना की अधिसूचना जारी होने के 90 दिनों के अंदर एकमुश्त राशि जमा करनी होगी। कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति दे दी। इसी प्रकार फिटनेस के कारण डिफॉल्टर हैं तो उन्हें भी एक मौका दिया गया है। इस संबंध में परिवहन सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि फिटनेश की वैद्यता समाप्त होने के बाद प्रत्येक दिन के लिए 50 रुपए शुल्क लिया जाता है। लेकिन 90 दिनों के लिए फिटनेस की फीस को घटाकर दो पहिया एवं तिपहिया वाहन के लिए 10 रुपए, व्यावसायिक ट्रैक्टर के लिए 15 रुपए, छोटे चारपहिया परिवहन वाहन के लिए 20 रुपए तथा भारी व्यावसायिक वाहन या अन्य वाहन के लिए 30 रुपए प्रतिदिन कर दिया गया है।

फल्गू नदी के बायें तट पर सालों भर रहेगा पानी
गया जिले के अंतर्गत फल्गू नदीं के बायें तट पर विष्णुपद मंदिर के निकट पूरे वर्ष कम-से-कम दो फीट पानी रहेगा। इसके लिए डीपीआर तैयार करने के लिए परामर्शी नियुक्त किया गया है, जिसकी स्वीकृति कैबिनेट ने दी। परामर्शी के द्वारा आठ माह में डीपीआर तैयार किया जाएगा, जिस पर डेढ़ करोड़ खर्च होंगे। इसके लिए जल्द ही परामर्शी एजेंसी के साथ करारनामा होगा। इसमें कहा गया है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए तीर्थयात्रियों द्वारा विष्णुपद मंदिर के पास फल्गू नदी में स्नान एवं तर्पण किया जाता है। इसी को देखते हुए वहां सालों पर जल संचयन की यह योजना बनी है। इसके तहत नलकूप, तालाब अथवा अन्य विकल्प तलाशे जाएंगे। प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण किया जाएगा। प्रस्तावित स्थल का भू-तकनीकी अध्ययन किया जाएगा।

कमला-बलान तटबंट टूट के कारणों का अध्ययन करेगी आईटीआई रूडकी
कमला-बलान तटबंध के टूटने के कारणों का अध्ययन आईआईटी रूड़की करेगी। साथ-ही-साथ बाढ़ प्रबंधन, जलमार्ग और तटबंध के संरक्षण समेत अन्य तकनीकी सेवाएं देगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसकी स्वीकृति दी गई। इस पर एक करोड़ 30 लाख के खर्च की भी स्वीकृति कैबिनेट ने दी।

इसी प्रकार कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों द्वारा 90 हजार संचालन सहमति शुल्क पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दिया जाएगा। इसी प्रकार सरकारी जिला और अनुमंडल अस्पतालों को 60-60 हजार, रेफरल अस्पतालों को 35 हजार और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को नौ-नौ हजार संचालन शुल्क देना होगा। यह शुल्क हर पांच साल के लिए होगा। पहले सहमति शुल्क का निर्धारण अस्पताल में लगी कुल पूंजी पर होता था।

कर्मियों को होगा विभाजन
यह भी निर्णय हुआ कि बिहार राज्य वन विकास निगम लिमिटेड के संपत्तियों, दायित्वों और कर्मियों का बिहार और झारखंड के बीच विभाजन होगा। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 200 के प्रावधानों के तहत दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच हुई बैठक में बनी सहमति के बिंदुओं के आधार पर उक्त सभी कार्य होंगे। इस निर्णय से करीब 19 वर्षों से लंबित मामलों का निष्पादन हो सकेगा।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *