बिहार में दाखिल खारिज को लेकर नया नियम, समय पर काम नहीं करने वाले अफसर पर कार्रवाई

दाखिल-खारिज की नई समय सीमा तय की जाएगी, लंबित रखना गुनाह : बिहार में दाखिल खारिज को लेकर नीतीश सरकार नया कानून बनाने जा रही है. राज्य सरकार का साफ मानना है कि दाखिल खारिज लंबित रहने से बिहार के लोगों को काफी परेशानी होती है. बार-बार आदेश देने के बाद भी अधिकारी अपने काम पर ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन नए नियम बन जाने के बाद अब अधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी. दाखिल खारिज को लंबित रखना अब गुनाह माना जाएगा. बिहार सरकार दाखिल खारिज को लेकर तय सीमा बनाने जा रही है. एक अवधि तय की जाएगी जिसमें अधिकारियों को दाखिल खारिज मामले का निष्पादन करना होगा. अगर कोई अधिकारी लापरवाही करते पकड़े गए तो उन पर कार्रवाई की जाएगी.

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि दाखिल-खारिज समेत अन्य कार्यों को हर हाल में तय समय के अंदर निष्पादित करना होगा। इसमें किसी प्रकार की कोताही सरकार स्वीकार नहीं करेगी। यदि जानबूझकर गड़बड़ी की गयी या फिर आम लोगों को परेशान किया गया तो निश्चित रूप से अधिकारियों-कर्मियों पर कार्रवाई होगी.

मीडिया में चल रही रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार जब नीतीश सरकार ने अधिकारियों पर सख़्ती का डंडा चलाया तो एक अधिकारी ने एक साथ 4200 मामलों का निष्पादन कर दिया. लेकिन इसमें एक खेला हो गया. उस अधिकारी ने एक साथ 3600 दाखिल खारिज आवेदन को रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद राज्य सरकार ने फैसला लिया कि दाखिल खारिज को लंबित रखना गुनाह माना जाएगा.

वर्तमान समय की बात करें तो अधिकारियों को 35 दिन से लेकर 75 दिन के अंदर तक दाखिल खारिज मामले का निष्पादन करना होगा. जिन मामलों में कोई विवाद नहीं है उसे 35 दिन में और जहां विवाद है उसे 75 दिन के अंदर में सॉल्व करना होता है. बावजूद इसके बिहार के अधिकांश अंचलाधिकारी कार्यालय में मामला लंबित है. इस बाबत नई समय सीमा तय की जाएगी. जिसका पालन हर हाल में करना होगा

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