बिहार सरकार का बड़ा फैसला, कांट्रैक्ट पर काम कर रहे पांच लाख कर्मियों के सेवा होगी स्थायी

PATNA : सूबे के सरकारी दफ्तरों में कांट्रैक्ट पर काम कर रहे पांच लाख कर्मियों की सेवा जल्द ही स्थायी होगी। संविदा कर्मियों की सेवा शर्तों के निर्धारण के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति ने फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली है और अगले हफ्ते सरकार को सौंप देगी।

समिति की अनुशंसा के अनुसार संविदाकर्मियों को अब हर साल कॉन्ट्रैक्ट के रिन्युअल की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। उनकी सेवा भी 60 साल के लिए होगी। संविदाकर्मियों को सरकारी सेवकों की तरह अवकाश समेत अन्य सुविधाएं मिलेंगी। महिलाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाएगा। बेसिक सैलरी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा। कर्मियों का ईपीएफ भी कटेगा। संविदाकर्मियों को नौकरी से हटाने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जो स्थायी सरकारी सेवक के लिए निर्धारित है।

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7 अगस्त 2018 को सरकार को सौंपी थी अंतरिम रिपोर्ट : उच्चस्तरीय समिति ने पिछले साल सात अगस्त को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी दी थी। लेकिन इस सूची में स्वास्थ्य विभाग और बेलट्रॉन समेत अन्य आउटसोर्स कर्मियों को शामिल नहीं किया था। जिसके कारण सरकार ने समिति के कार्यकाल में विस्तार किया था।

2015 में गठित हुई थी कमिटी : राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवा स्थायीकरण के लिए 24 अप्रैल, 2015 को उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी बनाए गए थे।

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बिहार में हाट-बाजार और घाटों की बंदोबस्ती अब पंचायतें करेंगी : सैरातों (हाट, बाजार, फेरी एवं घाट सहित) की बंदोबस्ती अब ग्राम पंचायतें करेंगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। जल्द ही इसका आदेश जारी होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियंत्रणाधीन जो भी सैरात थे, वह अब पंचायती राज विभाग के अधीन आ जाएंगे। बैठक में कुल 13 प्रस्तावों पर मुहर लगी।.

बैठक के बाद कैबिनेट सचिवालय के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि 50 हजार तक की बंदोबस्ती ग्राम पंचायत (मुखिया), एक लाख तक की पंचायत समिति (प्रखंड प्रमुख) और पांच लाख तक की बंदोबस्ती जिला परिषद (जिप अध्यक्ष) द्वारा की जाएगी। अंतर जिला और अंतरराज्यीय सैरातों को छोड़ कर, पहले अंचलाधिकारी, डीसीएलआर, अनुमंडल अधिकारी और जिलाधिकारी को यह अधिकार था। डीएम के पास पांच लाख तक के सैरातों की बंदोबस्ती का अधिकार था। दस लाख तक की बंदोबस्ती का अधिकार अब भी प्रमंडलीय आयुक्त के पास ही रहेगा। दस लाख से अधिक के सैरातों की बंदोबस्ती राज्य सरकार ही करती रहेगी। .

त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों को और सशक्त और आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के मकसद से यह निर्णय लिया गया है। गौरतलब हो कि ग्राम पंचायतों को टैक्स वसूलने का अधिकार देने की एक नियमावली भी विभाग तैयार कर रहा है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट में भेजा जाएगा। नियमावली में टैक्स वसूलने के नियम व इसकी अधिकतम सीमा आदि की चर्चा रहेगी।

बिहार औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला तकनीकी कर्मी संवर्ग नियमावली, 2019 के गठन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई। इससे प्रयोगशाला में नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। पंचायती राज विभाग के तहत योजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर कनीय अभियंता/तकनीकी सहायक की वित्तीय शक्ति 15 लाख से बढ़ा कर 30 लाख कर दी गई है। .

छठे वेतन आयोग के अनुसार अपुनरीक्षित वेतनमान पा रहे कर्मियों और पेंशनधारियों का महंगाई भत्ता 148 से बढ़ा कर 154% कर दिया गया है। इसी प्रकार पांचवें वेतन आयोग के अनुसार अपुनरीक्षित वेतनमान पा रहे कर्मियों और पेंशनधारियों का महंगाई भत्ता 284 से बढ़ाकर 295% कर दिया गया है।

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