बिहार सरकार का फैसला, सरकारी नौकरी में जाति के आधार पर मिलेगा प्रमोशन, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज

प्रोन्नति पर रोक के अपने ही आदेश को खत्म करने के लिए राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। प्रोन्नति के मसले पर 5 नवम्बर को अदालत में सुनवाई होनी है। कोर्ट से यथास्थिति बहाल रखने के पूर्व में दिये गए आदेश को वापस लेने का अनुरोध उसी दिन किया जाएगा।

फिलहाल बिहार सरकार की निगाहें अदालत में अगली सुनवाई पर है। अदालत की इजाजत मिलती है तभी सरकार प्रोन्नति के मामले में आगे कोई निर्णय ले सकती है। विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक पर रोक के बाद राज्य सरकार ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय पहुंची। सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों से जुड़े प्रोन्नति के मामले में सुनवाई के दौरान बिहार के मामलों को भी उसमें शामिल करते हुए कोर्ट यथास्थिति बहाल रखने का आदेश पारित किया। यानी की प्रोन्नति पर लगी रोक बिहार में जारी रहेगी।

ऐसी स्थिति में जब तक कोर्ट का कोई आदेश नहीं आता तब तक राज्य सरकार प्रोन्नति देने को लेकर कोई निर्णय नहीं ले सकती। इसे देखते हुए सरकार सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति बहाल रखने के आदेश को वापस लेने का अनुरोध करेगी। जानकारों के मुताबिक यदि अदालत की इजाजत मिलती है तो रोक से पहले जिस फॉर्मूले के तहत प्रोन्नति दी जा रही थी उसे ही लागू किया जाए। 11 अप्रैल को रोक से पहले राज्य में प्रोन्नति में आरक्षण का लागू था। यानी प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था लागू रहेगी।

राज्य सरकार की सेवाओं में छह महीने से प्रोन्नति पर रोक है। प्रोन्नति में दिए जा रहे आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ कुछ पदाधिकारी द्वारा पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई के बाद 1 अप्रैल को उच्च न्यायालय द्वारा एक आदेश पारित किया गया था। इसके आलोक में सरकार द्वारा प्रोन्नति में दिए जा रहे आरक्षण संभव नहीं रहा। इसके बाद 11 अप्रैल को विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था।

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