स्मार्ट बनेगा बिहार का हरेक गांव और पंचायत, नीतीश सरकार ने किया 2255 करोड़ देने का ऐलान

पंचायती राज मंत्री बोले-योजनाओं व विकास कार्यों को मिलेगी गति, पंचायतों में विकास कार्य को मिलेंगे 2255 करोड़, पंचायती राज के कार्यालयों पर भी खर्च की जाएगी राशि , पंचायत समिति और जिला परिषद को 366 करोड़ मिलेंगे, इस साल जनवरी में 741 करोड़ जारी हुए थे : ग्राम पंचायतों में चल रही योजनाओं और विकास कार्यों को गति देने के लिए जल्द ही 2255 करोड़ 91 लाख जारी किये जाएंगे। छठे राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंतर्गत प्रथम एवं द्वितीय किस्त के रूप में इस राशि को जारी करने की स्वीकृति दे दी गई है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि उक्त राशि का 70 प्रतिशत हिस्सा ग्राम पंचायतों और 15-15 प्रतिशत जिला परिषद और पंचायत समितियों को दी जाएगी।

मंत्री ने पदाधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को निर्देश दिया है कि उक्त राशि का विकास कार्यों में समय पर खर्च करना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा है कि गांवों में कार्य, कार्यालय खर्च, कर्मियों-प्रतिनिधियों के क्षमता वर्द्धन, कर्मियों के वेतन आदि मद में यह राशि जारी की जा रही है। मालूम हो कि वर्तमान में मुख्य रूप से नल-जल योजना के बेहतर क्रियान्वयन, छूटे बसावटों में नली-गली का पक्कीकरण कराना व गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने पर राशि खर्च किये जाएंगे। उक्त राशि में ग्राम पंचायत एवं ग्राम कचहरी के लिए 1522 करोड़ से अधिक तथा पंचायत समिति और जिला परिषद में 366-366 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

विभाग ने जारी आदेश में यह भी साफ किया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत के लिए कार्यालय खर्च की अधिकतम सीमा 60 हजार, पंचायत समिति के लिए एक लाख 20 हजार और जिला परिषद कार्यालय के लिए दो लाख 40 हजार होगी। मालूम हो कि राज्य में अभी 8067 ग्राम पंचायत, 8067 ग्राम कचहरी, 534 पंचायत समिति तथा 38 जिला परिषद के कार्यालय हैं।

15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में जनवरी, 2022 में त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायतों के बीच 741 करोड़ 80 लाख का वितरण किया गया था। इस राशि का वितरण 70:15:15 के फॉर्मूले पर ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद के बीच किया गया था। यह 2021-22 की 15वें वित्त आयोग की द्वितीय किस्त थी।

नागरिक सेवाओं के विकास। पेयजल आपूर्ति। ठोस एवं तरल अवशिष्ट का संग्रहण एवं उसका निपटारा। सार्वजनिक शौचालय निर्माण। श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों का निर्माण। खेल के मैदानों का प्रबंधन आदि। साथ ही कर्मियों का वेतन, मानदेय, कार्यालय खर्च, फर्नीचर और स्टेशनरी की खरीद आदि।

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