बिहार के किसानों को मानना ही होगा चकबंदी कानून, नहीं चलेगा कोई भी बहाना, नीतीश सरकार का आदेश जारी

नई चकबंदी शुरू होने तक खत्म नहीं होगा पुराना काम, एक नजर में 39 प्रखंडों में चल रही है चकबंदी, पांच जिलों के हैं ये प्रखंड, 15 साल से हो रहा है काम, 100 प्रतिशत काम हो रहा मैनुअली

‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर बना : नई चकबंदी के लिए ‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर को विकसित किया गया है। इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से चकबंदी के काम में मानवीय हस्तक्षेप काफी कम हो जाएगा। पहले जो काम 100 फीसदी अमीन और दूसरे कर्मियों द्वारा किया जाता था, उस काम में मानवीय हस्तक्षेप घटकर अब महज 20 फीसदी रह जाएगा। इससे काम तेज होगा।

राज्य में नई चकबंदी के अलावा किसानों के सामने कोई विकल्प नहीं है। कोर्ट के आदेश पर जिन पांच जिलों में चकबंदी का काम शुरू हुआ, वह 15 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ। मानव बल की कमी इसका बड़ा कारण है। हालांकि सरकार ने पुरानी चकबंदी के कागज का भी कंप्यूटरीकरण करने का फैसला किया है, लेकिन स्थिति यह है कि पुरानी चकबंदी कई मौजों में सिर्फ कागज पर ही है। जमीन पर दखल बहुत कम हुआ है। राज्य सरकार ने नई चकबंदी को लेकर कई अभिनव प्रयोग किये हैं। सर्वे का काम खत्म होने के बाद नई चकबंदी शुरू होगी। इसके लिए सरकार ने आईआईटी रुड़की से करार किया है। चकबंदी के लिए एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है। आईआईटी रुड़की के काम को देखने के लिए राजस्व विभाग ने कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल के कनैरा कम्हारी गांव का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयन किया है। निदेशालय ने सर्वे और चकबंदी के खतियान और नक्शे को रुड़की भेजा जहां लैब में दोनों को पहले डिजिटाइज किया गया। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग की मदद से उनका चक काटा गया। बाद में विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह के समक्ष उनका प्रजेंटेशन भी दिया गया। लेकिन पुरानी चकबंदी की गति बहुत मंद है।

कोर्ट के आदेश पर 2006 में शुरू हुई थी चकबंदी

कोर्ट के आदेश पर 2006 में यह चकबंदी शुरू हुई थी। रोहतास, भोजपुर, बक्सर और कैमूर के पुराने 38 प्रखंड के साथ गोपालगंज के कटेया प्रखंड में चकबंदी का काम चल रहा है। यह काम कोर्ट के आदेश पर चल रहा है। हर महीने कोर्ट को प्रगति से अवगत कराना होता है। बावजूद प्रगति इतनी धीमी है कि 15 वर्षों में काम पूरा नहीं हुआ। हाल में कैमूर जिले के जिन 26 मौजों को संपुष्ट घोषित किया गया वह भी लगभग 25 साल पहले के काम के आधार पर हुआ। ऐसे में यह लगता है कि नई चकबंदी शुरू होने के पहले पुराने को खत्म करना कठिन है। लिहजा उन मौजों में भी एक बार फिर से काम करना होगा।

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