बिहार की बिटिया अंशु ने असंभव को कर दिखाया संभव, दुनिया के वैज्ञानिकों ने माना लोहा

बिहार की बेटी और सीवान की लाडली अंशु एक बार फिर असंभव को संभव कर दिखाया है। जानकारों की माने तो बिहार की इस वैज्ञानिक बिटिया ने भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बिहार का नाम रोशन किया है।

बिहार के सीवान की रहने वाली बेटी ने छोटी उम्र में ही बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. अंशु ने सूर्य के रहस्यों को सुलझाने वाले यंत्र का आविष्कार किया हैं. इसके साथ ही यह यंत्र धरती के तापमान, मौसम, जनजीवन और कई महत्वपूर्ण विषयों के बारे में पूर्वानुमान लगा सकता हैं.परिवार के सदस्यों को है अंशु पर गर्व सूर्य के रहस्यों को सुलझाने वाले यंत्र का आविष्कार करने वाली अंशु के परिजन को अंशु पर गर्व हैं.

मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. किसी शायर की ये लाइन बहुत लोगों ने पढ़ी और सुनी होगी. लेकिन सीवान की एक बेटी ने इसे खूब ठीक से समझा और साबित कर दिया कि हौसले के दम पर आसमां भी हासिल हो सकता है. दृढ़ संकलप ओर हौसलों की मिसाल बनी अंशु आज फिनलैंड में वैज्ञानिक बनकर सीवान ही नहीं देश का मान सम्मान बढ़ा रही है.

अंशु कुमारी ने रेडियो स्पेक्ट्रो पोलरीमिटर नामक यंत्र को विकसित किया है. यह यंत्र सूर्य के रहस्यों को समझने में सहायक विवरण जुटा रहा है. इस यंत्र से धरती के तापमान, मौसम, जनजीवन और ऐसे महत्वपूर्ण विषयों में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.

सूर्य पर होने वाले विस्फोटों की जानकारी भी इसके माध्यम से दर्ज की जा सकती है. यह शोध सूर्य से आने वाली चुम्बकीय तरंगों के अध्ययन पर आधारित है. अंशु ने बताया कि सूर्य की गतिविधियों और धरती पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के लिए यंत्र विकसित किया हैं. यंत्र के माध्यम से पता चला कि सूर्य पर 50 से अधिक बार विस्फोट हो चुके हैं.

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सीवान जिला के आंदर प्रखंड के चंदौली गांव निवासी प्रोफसर चंद्रमा सिंह की पुत्री अंशु कुमारी आज फिनलैंड में वैज्ञानिक हैं. अंशु की प्राथमिक शिक्षा आर्य कन्या मध्य विद्यालय से हुई है, जबकि इंटर की पढ़ाई ज्वाहर नवोदय से पूरी की और विद्यालय की टॉपर भी रहीं. इसके बाद अंशु ने राजस्थान कॉलेज इंजीनियरिंग फ़ॉर वीमेन कॉलेज से बीटेक की डिग्री हासिल की.

इसके बाद बेंगलुरु में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स तारा भौतिकी संस्थान से इंटीग्रेटेड पीएचडी की पढ़ाई की. शुरू से पढ़ाई में रही अव्वल अंशु के पिता और जन्तु विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रमा सिंह ने बताया कि अंशु की बचपन से ही सूर्य में रुचि थी. मां सविता देवी शिक्षक थी जिन्होंने अंशु को प्रोत्साहित करती रही. अंशु शुरू से ही पढ़ने में काफी होनहार थी.

महिला वैज्ञनिक अंशु कि सफलता महिला सशक्तिकरण को मजबूत तो करती ही है. साथ ही साथ हर उन महिलाओं और उन लड़कियों में एक में जज्बात को भरते हैं जो कुछ कर गुजरने की चाह रखती हैं. 

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