बिहार की IAS बिटिया अंकिता की कहानी, ऑल इंडिया सेकंड टॉपर बन लहराया था परचम

अंकिता अग्रवाल का जन्म बिहार के बिहारीगंज में हुआ था जहाँ उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त किया। लेकिन पिता के हार्डवेयर कारोबार के कारन वे कोलकाता चले गए और तब से उनका परिवार कोलकाता में ही रहता हैं। IAS Ankita Agarwal UPSC Topper ने यह तीसरी प्रयास में यह मुकाम हाशिल किया है। पहले के दो Attempt में किसी कारणवस उनका Selection नहीं हो पाया। पर तीसरी बार में उन्होंने अपना सपना पूरा किया। और फिर बिहार का नाम रोशन किया।

चाचा-चाची दादा-दादी के साथ की पढ़ाई, तय कर लिया था IAS बनना है इसलिए 3 बार दिया UPSC एग्जाम

अंकिता ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता में पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने अपने ऑप्शन  सब्जेक्ट के रूप में पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन को चुना.

अंकिता ने तीन बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी है. 2019, 2020 और 2021 में. उन्होंने 2019 में एआईआर 236 रैंक प्राप्त की और भारतीय राजस्व सेवा सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर के साथ ट्रेनिंग की. आईआरएस के लिए चुने जाने के बावजूद, उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल होने के लिए और मेहनत करने का फैसला किया. दूसरी रैंक हासिल करने पर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए क्वालिफाई करने की उम्मीद थी, लेकिन दूसरी रैंक लाना मेरे लिए बहुत ही आश्चर्यजनक रहा.

अंकिता का पालन-पोषण उनके दादा-दादी और चाचा-चाची की देखरेख में एक जॉइंट फैमिली में हुआ था. अंकिता का परिवार कई साल पहले बिहार से ताल्लुक रखता था. उसके पिता एक बिजनेसमैन हैं, जिनकी बड़ाबाजार इलाके में हार्डवेयर की दुकान है. मां हाउसवाइफ हैं. 

अंकिता का कहना है कि उनके आईएएस अधिकारी बनने के सपने को पूरा करने में उनके परिवार ने उनका बहुत साथ दिया. उन्होंने कभी भी उन पर अपने सपनों का बोझ नहीं डाला और न ही उन्हें पढ़ाई करने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि यूपीएससी परीक्षा पास करने की लंबी यात्रा के दौरान उनके परिवार के सपोर्ट के लिए वह आभारी हैं.

“मैं अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट थी और इसलिए पोस्टग्रेजुएशन डिग्री के लिए अप्लाई नहीं करने का फैसला किया. मैंने एक साल तक काम किया और फिर यूपीएससी की तैयारी में जुट गई. मैंने 2019 में परीक्षा के लिए क्वालिफाई किया और आईआरएस में शामिल हो गई लेकिन मेरा लक्ष्य भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होना था. इसलिए मैंने 2021 में फिर से परीक्षा दी. यह मेरा अटेंप्ट था.”

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