मधुबनी नरसंहार से कलंकित हुआ मिथिला की पावन धरती, ब्राह्मण vs राजपूत की लड़ाई में बिहार बदनाम
अशोक दुबे : बिहार का मधुबनी जिला मिथिला पेंटिग्स और और समृद्ध मैथिली भाषा संस्कृति के लिए जाना है लेकिन आजकल दो जातियों के बीच जमीन विवाद मे हुए हत्याकांड को लेकर चर्चा मे है। दो जातियों मे जमीन के विवाद ने नरसंहार का रुप ले लिया जिसमे एक जाति ( राजपूत परिवार) के 6 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है । मर्डर का आरोप ब्राह्मण जाति के नाम पर निजी सेना (रावण सेना) चलाने वाले प्रवीण झा पर लगाया जा रहा है । कुछ लोग प्रवीण झा का जुड़ाव बजरंग दल से भी बताते हैं।
मधुबनी ब्राह्मणों के दबदबा वाला इलाका माना जाता है।
बेनीपट्टी थाने मे गाँव महमूदपुर है, होली के दिन मछली मारने से विवाद शुरु होकर दो जातियों के बीच नरसंहार का रुप ले लिया दरअसल पुरा विवाद 6 एकड जमीन पर कब्जा और मंदिर पर वर्चस्व को लेकर चल रहा था
जमीन पर दोनो जातियों के लोग दावा ठोंक रहे थे राजपूत परिवार जमीन से अपनी एक इंच जगह छोड़ने को तैयार नहीं था तो वहीं दूसरी जाति (ब्राह्मण लोग) जमीन और मंदिर पर अपना दांवा ठोक रहे थे।
इस छोटे विवाद ने देखते देखते दो जातियों के आन की लडाई बना दी जमकर गोलीबारी हुई और 6 मर्डर को अंजाम दिया गया । पुलिस महानिरीक्षक अजिताभ कुमार 5 दिन की छानबीन पर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि यह दो जातियो के गुटों के रंजिश का परिणाम है।
बिहार मे जमीन विवाद जातीय संघर्ष और जातीय हत्याएं कोई नयी बात नहीं है एक जमाने मे यहां कई जातीय सेना बने थे।1977 मे पहला नरसंहार पटना जिले के बेलछी मे हुआ था जिसमे 11 दलितों को कुर्मी जाति के लोगों ने जला दिया गया था तब से लेकर बिहार की धरती रक्तरंजित होती रही बाथे, बथानी टोला ,बारा, शंकर बिगहा, सेनारी कई जगह जातीय संघर्ष मे लोग मरे कटे।
ज्यादातार घटनाओं मे एकतरफ फारवर्ड जातियां होती थी तो दूसरी तरफ बैकवार्ड दलित। इस तरह की घटनाओं को मीडिया की सूर्खियां होती थी मधुबनी की घटना दो फॉरवर्ड जातियों के बीच की है ।
करणी सेना, राजपूत महासभा आरोप लगा रही है कि इस एकतरफा नरसंहार मे ब्राह्मण प्रभुत्व वाली मीडिया चुप क्यों है
उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन हत्यारों के साथ मे है
विपक्ष का आरोप है कि बिहार की नीतीश-भाजपा सरकार इस मामले में चुप क्यों हैं।
दरअसल जदयू-भाजपा सरकार जानती है कि ब्राह्मण और राजपूत दोनों वर्गों का वोट उसके लिए महत्वपूर्ण है।
इसलिए सरकार इस मामले मे बोलने से बच रही है ।
खैर बिहार के हित मे यही है कि इस तरह के मामलों को जातीय रंग देने जातीय उन्माद मे तब्दील होने से बचाया जा सके जो दोषी हैं उन्हे सजा होनी चाहिए ।
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