बिहार में कफन का कपड़ा खरीदने को लेकर मारामारी, 24 घंटे काम कर रहे मजदूर

बिहार: गया के पटवा टोली में 24 घंटे काम कर रहे कारीगर, 20 दिनों में 3 गुना बढ़ी कफन की मांग : गया: बिहार समेत पूरे देश कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर जारी है. संक्रमण की जद में आकर मरने वालों की संख्या डराती है. श्मशान घाट और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार के लिए जद्दोजहद, इस बात का गवाह है कि कितनी संख्या में लोगों की जान जा रही है. इसी क्रम में बिहार के गया जिले के पटवा टोली में सफेद चादर और कफन का कारोबार करने वाले कारोबारियों ने जो बात कही है, वो चौंकाती है. 

कारोबारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि वे इनदिनों बिहार के फतुहा और गया जिले में कफन की आपूर्ति करते-करते परेशान हो रहे हैं. कोरोना काल में कफन की मांग पहले की अपेक्षा 3 गुना बढ़ गई है. कोरोना से पहले कफन की मांग इतनी अधिक नहीं थी. गया श्मशान घाट पर सप्ताह में कफन के 500 बंडल जाते थे. लेकिन अभी प्रतिदिन 200 से 300 बंडल की आपूर्ति की जा रही है.

सत्येंद्र की मानें तो रोजाना इतनी संख्या में आपूर्ति करने कर बाद भी घाट पर कफन पड़ रहे हैं, जिससे परेशानी बढ़ गई है. कारीगरों को दिन-रात काम करना पड़ रहा है. पटवा टोली में कफन बनाने के काम में जुटे कई कारोबारी इनदिनों केवल कफन बना रहे हैं और घाटों पर उसकी आपूर्ति कर रहे हैं. ऑर्डर ज्यादा होने की वजह से ज्यादा काम करना पड़ रहा है.

कफन कारोबारी सुरेश तांती ने बताया कि कोरोना काल में मौत की संख्या बढ़ गई है. ऐसे में कफन की मांग भी बढ़ी है, जिस वजह से परिवार के लोग भी काम में जुट गए हैं. उन्होंने बताया कि आज से करीब 10 साल पहले भी ऐसे स्थिति आई थी, जब डायरिया से लोगों की मौत हो रही थी. सुरेश ने कहा कि वे पिछले 25 वर्षों से कफन का कारोबार कर रहे हैं, लेकिन पिछले 15 से 20 दिनों से कफन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. बता दें कि गया का पटवा टोली में बनने वाला गमछा और चादर काफी संख्या में बिहार ,झांरखण्ड, बंगाल सहित कई राज्यों में जाता है.

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *