बिहार के मुजफ्फरपुर में भिखारियों ने खोला अपना बैंक, हर हफ्ते होता है मीटिंग, लोन देने का भी है सिस्टम

MUZAFFARPUR- भीख में मिले रुपयों से अपने लिए बनाया बैंक, जैसा मददगार सिस्टम, जमा पर ब्याज देते हैं, जरूरत पड़ने पर कर्ज भी : आर्थिक सुरक्षा की चिंता किसे नहीं होती, लोग इसके लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। ऐसी ही एक पहल मुजफ्फरपुर के भिखारियों ने की है। किसी भी आर्थिक मुसीबत से बचने के लिए जिले के 175 भिखारियों ने मिलकर पांच बैंक जैसे सेल्फ हेल्प ग्रुप शुरू किए हैं। इन समूहों को बेहतर तरीके से चलाने के लिए सभी भीख में मिले रुपयों को इनमें जमा कराते हैं। जमा राशि पर भी ब्याज मिलता है। जरूरत पड़ने पर इससे लोन भी लेते हैं। जरूरतमंद सदस्यों को 1% की ब्याज दर से तीन महीने के लिए लोन दिया जाता है। साप्ताहिक मीटिंग में जमा और लोन राशि का हिसाब-किताब भी होता है। इनकी सफल कोशिशों को देखते हुए सरकार भी इनकी मदद करने के लिए आगे आई है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप में कम से कम 15 सदस्य रखे गए हैं।

हर रविवार तय जगह पर इन समूहों की मीटिंग होती है। सभी सदस्य साथ बैठकर फैसले करते हैं। बैठक की पूरी कार्यवाही लिखी जाती है। मदद के लिए पढ़े-लिखे युवाओं को बुलाया जाता है। इनकी मदद लेकर सदस्यों की समस्याएं, हफ्तेभर में जमा व ब्याज से मिली राशि अाैर जारी किए गए लाेन का हिसाब-किताब रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। इनके सफल संचालन को देखते हुए सामाजिक सुरक्षा सेल ने पांचों समूहों को 10-10 लाख रुपए मदद देने का फैसला लिया है। ताकि ये लोग मुख्यधारा में आकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो सकें। सेल के सहायक निदेशक ब्रजभूषण कुमार ने बताया कि इनके समूह सफलता के साथ चल रहे हैं। अपनी मेहनत की कमाई से ये कोशिश कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इनकी मदद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस राशि से समूहों के सदस्य झोला, दरी, कारपेट, मोमबत्ती आदि बनाएंगे। सरकार इनकी खरीदी करेगी।

उन्हाेंने बताया कि जिले में भीख मांग कर जीवन बसर करने वाले भिखारियाें का सर्वे कराया जा रहा है। मंदिर-मस्जिद, रेलवे व बस स्टेशन आदि जगहाें पर इनकी गिनती की जा रही है। अब तक 575 को चिह्नित किया जा चुका है। 31 सितंबर तक सर्वे पूरा कर सबको मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। इन पांचों समूहों की कुल जमा राशि करीब 57 हजार रुपए है।

हर हफ्ते मीटिंग में होता है हिसाब-किताब, इसी में लोन की मंजूरी भी : लोन लेने के लिए भी बाकायदा प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। लाेन लेने वाले सदस्य का अंगूठा निशान लिया जाता है। जिन सदस्यों को लोन की जरूरत है, वे बैठक में ही बताते हैं। इसके बाद एक सदस्य को गवाह बना अधिकतम 2 हजार रुपए लोन के तौर पर दिए जाते हैं। बाकी बचे रुपयों को एक बक्से में रखा जाता है। इस बक्से की तीन चाभियां होती हैं। एक अध्यक्ष, दूसरी सचिव और तीसरी चाबी कोषाध्यक्ष के पास रहती है। रुपए के इस बक्से काे मीटिंग के दिन ही खोला जाता है। उसी दिन कोषाध्यक्ष द्वारा लाेन, ब्याज, जमा राशि की जानकारी सदस्याें काे दी जाती है।

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