12 March 2025

नीतीश कैबिनेट में मिथिला के नेताओं की बल्ले-बल्ले, सात लोगों को बनाया गया मंत्री, देखिए लिस्ट

ये केवल मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं है। नीतीश कैबिनेट का आज एक बार फिर विस्तार हो गया है। दो दिन पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार आने से पहले सूबे के अनेक राजनीतिक पंडित नीतीश को बीजेपी का दामन छोड़ कर राजद के साथ जाने का दावा कर रहे थे और सब कुछ फाइनल होने की बात कर रहे थे ।लेकिन पीएम के भागलपुर दौरे के 72 घंटे और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के पटना दौरे के 24 घंटे के अंदर ही नीतीश और बीजेपी ने ऐसी चाल चली कि उनके राजनीतिक विरोधी और राजनीति के धुरंधर पंडित होने का दावा करने वाले चारों खाने चित हो गए ।

मंगलवार को राजद के पूर्व एम एल सी सुनील सिंह के सदस्यता बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दवाब में आए नीतीश ने विधान मंडल के बजट सत्र से पहले कैबिनेट का विस्तार कर अपने विरोधियों से सदन के अंदर और बाहर फरियाने का मूड बना लिया है।विधान सभा के चुनावी वर्ष में बीजेपी कोटे के 7 मंत्रियों का शपथ ग्रहण एक सोची समझी रणनीति के तहत है ।इसका ट्रेलर भागलपुर के मंच पर ही दिख गया जब पीएम ने नीतीश को अपना लाडला मुख्यमंत्री कहा था ।स्वाभाविक है जब नरेंद्र मोदी ने उदारता दिखाई तो नीतीश क्यों पीछे रहते ।

याद कीजिए आप 2020 के विधान सभा चुनाव परिणाम के बाद नीतीश कैबिनेट में जब कांग्रेस को केवल दो सीटें मिली थी ।कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने नीतीश से खुद आग्रह किया था लेकिन अंत तक कांग्रेस को तवज्जो नहीं दी ।लेकिन ऐसा क्या है कि बीजेपी की झोली में सात मंत्री नीतीश ने डाल दिया और एक भी।जेडीयू के लिए नहीं ली ।नीतीश अगर चाह लेते तो यह कोई बड़ी बात नहीं थी ।
अप्रत्यक्ष रूप से देखे तो सात में दो मंत्री लव कुश समीकरण के एक नीतीश के जिले के डॉक्टर सुनील कुशवाहा तो दूसरे अमनौर सारण के कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी है।यानि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।

इस मंत्री मंडल विस्तार के तहत एन डी ए ने अपने जातीय समीकरण को मज़बूत ही नहीं किया मुकेश सहनी के नाव में छेद करने की कोशिश की है। मदन साहनी, हरि साहनी के बाद विजय मंडल को भी जगह दी गई है

वैश्य में एक दिलीप जायसवाल गए और दो संजय सरावगी और मोती प्रसाद आए ।सवर्ण में भूमिहार जीवेश मिश्रा और राजपूत राजू सिंह को जगह देकर मजबूत जातियों का प्रतिनिधित्व दिया गया है । यानि चुनाव में एन डी ए के लिए बूथ पर यादव के खिलाफ लड़नेवाली जातियों को कैबिनेट में जगह दी गई है।यही वजह है कि अब कैबिनेट में सवर्ण 9से 11ओबीसी 8से 10 अति पिछड़ा 5से 7 दलित 7 और मुस्लिम एक हो गए हैं ।

दूसरी ओर इस विस्तार के बहाने मिथिलांचल को पूरी तरह से तवज्जो दी गई और मंटू सुनील और विजय मंडल को छोड़ दे तो चार मंत्री मिथिलांचल को दिया गया है ।

यानि केंद्रीय मंत्रिमंडल को कमी की भरपाई की है । ऐसे में आप कह सकते है कि आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारी का आगाज बिहार में एन डी ए ने कर दिया है और बीजेपी और जेडीयू ने मान लिया है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी बड़े भाई है और बिहार में नीतीश ।देखिए आगे आगे होता है क्या । फिलहाल ये कह सकते है।की यह मंत्रिमंडल का विस्तार तो एक ट्रेलर है पूरी फिल्म अभी बाकी है।

लेखक: अशोक कुमार मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार

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