बिहार पुलिस का ‘कमीनापन’, दो दिनों तक हाजत में पीटा, शरीर पर जख्म के 100 से अधिक निशान, मौत

मीठापुर बस स्टैंड से पैदल जा रहे नशे में धुत खलासी राजेश पांडेय काे उत्पाद विभाग की टीम ने गायघाट के पास से 23 नवंबर काे पकड़ा। उसे उस दिन जेल नहीं भेजा बल्कि दाे दिनाें तक 32 साल के राजेश काे हिरासत में रखा। उत्पाद विभाग की टीम पर अाराेप है कि राजेश से सच उगलवाने के लिए दाे दिनाें तक जमकर धुनाई की। उसकी तबीयत बिगड़ने लगी ताे 25 काे काेर्ट में पेश किया गया जहां से उसे फुलवारीशरीफ जेल भेजा गया। वहां उसकी तबीयत बिगड़ गई।

फिर उसे जेल के ही अस्पताल में दाे दिनाें तक इलाज कराने के बाद हालत गंभीर हाेने पर 27 नवंबर काे जेल प्रशासन ने पीएमसीएच भेज दिया। रविवार की सुबह यहां उसकी माैत हाे गई। उसके सिर, पीठ सहित शरीर पर जख्म के 100 से अधिक निशान हैं। राजेश गायघाट के खरा कुअां का रहने वाला था। उसके दाे बच्चे हैं। राजेश की बहन किरण का अाराेप है कि गिरफ्तारी के बाद परिजनाें काे जानकारी नहीं दी गई। कलेक्ट्रेट स्थित सेल में दो दिनों तक उसकी पिटाई की गई।

फुलवारीशरीफ जेल के सहायक जेलर संजय कुमार ने बताया कि जिस दिन वह जेल में अाया, उसकी मेडिकल जांच की गई थी। इस बाबत सहायक उत्पाद अायुक्त प्रह्लाद कुमार ने बताया कि उन्हें फिलहाल घटना की जानकारी नहीं है। इस मामले के बारे में पता लगाया जाएगा।

राजेश पर अाराेप शराब पीने का था। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अाखिर किस कानून के तहत राजेश काे पुलिस ने 24 घंटे के बाद भी कस्टडी में रखा? उससे क्या सच उगलवाने के लिए दाे दिनाें तक कस्टडी में रखकर लाठी-डंडे से उसकी पिटाई करते रहे। किस नियम के साथ उसके साथ मारपीट की गई? वहीं जेल प्रशासन ने बिना मेडिकल जांच किए उसे जेल के अंदर कैसे रख लिया। जब उसकी तबीयत खराब थी ताे उसे फाैरान क्याें नहीं पीएमसीएच भेजा गया?

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