बिहार में प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू, कांग्रेस ने ठोका 90 विधान सभा सीटों पर अपना दावा
बिहार की राजनीति में बहुत जल्द बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. एक तरफ जहां या कयास लगाया जा रहा है कि जदयू और राजद नजदीक आ रहे हैं वहीं यह भी तय माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार कोई भी प्रेशर पॉलिटिक्स बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है. बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों पर अपना दावा ठोका है.
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 90 सीट लेने की रणनीति बना रही है। कार्यकर्ता और कांग्रेस को 90 के दशक वाली पार्टी बनाने को आतुर नेता अभी से इस ओर दबाव बनाना शुरु कर चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान से नहीं मिल पाने वाले नेता बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के समक्ष अपनी बातें तर्कों के साथ रख रहे हैं।
नेताओं का कहना है कि जिस आधार पर कांग्रेस ने झारखंड विधानसभा चुनाव में सीटें झटकी और सरकार में शामिल हुई, वह आधार बिहार में भी लागू होना चाहिए। वहां कांग्रेस कुल 81 सीट में 31 सीट पर लड़ी। बिहार में 243 सीट है यानी झारखंड से तीनगुनी। यह देखते हुए बिहार में कांग्रेस का 93 सीट पर दावेदारी बन रही है। अगर इस पर महागठबंधन का बिहार नेतृत्व तैयार हो तो ठीक नहीं तो वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव को आधार बना कांग्रेस 91 सीट पर अपनी दावेदारी बनाये। उस चुनाव में कांग्रेस 41 सीट पर लड़ी थी। जदयू और राजद 101-101 सीट पर चुनाव लड़े। कांग्रेस अपनी 41 सीट के साथ जदयू की आधी यानी 50 (कुल 91) सीटों पर मजबूती से दावेदारी बनायें। आधी सीटे सहयोगी राजद को मिले। इससे राजद भी 101+51= 152 सीट पर आसानी से लड़ सकेगा।
चूंकि अप्रैल तक राज्य से राज्यसभा की 5 और विधानपरिषद की 29 सीटें भरी जानी है। यह देखते हुए एक रणनीति के तहत कांग्रेस का एक भी नेता अभी इस मुद्दे पर खुलकर इसलिये नहीं बोल रहा है कि कांग्रेस से एक सदस्य बिना राजद के सहयोग के राज्यसभा में जा ही नहीं सकता है। यह देखते हुए राज्यसभा और विधानपरिषद चुनाव बाद महागठबंधन नेताओं के बीच इस मसले पर विमर्श होना तय है।