सेना में ठेके पर चार साल की नौकरी नहीं करना चाहता बिहार, युवाओं ने किया जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

सरकार बोली-सशस्त्रबल भर्ती में अग्निवीरों को प्राथमिकता, ‘अग्निपथ’ के विरोध में बवाल ट्रेनें रोकीं…एनएच जाम अागजनी, सेना भर्ती योजना पर बवाल }बिहार में छह जिलों में सड़क पर उतरे युवा, पुरानी भर्ती नीति जारी रखने पर अड़े, ये अनट्रेंड युवा हैं… 4 साल बाद सेना की ट्रेनिंग लेकर नौकरी के लिए सड़क पर उतरेंगे तो कैसे संभाल पाएंगे, मुजफ्फरपुर के भगवानपुर गोलंबर पर आगजनी।

शॉर्ट टर्म सैनिक योजना ‘अग्निपथ’ की घोषणा के अगले ही दिन बिहार के छह जिलों में युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, कई रिटायर्ड शीर्ष सैन्य अफसरों ने इस नीति पर सवाल उठाए। सबसे बड़ी आशंका इस बात को लेकर है कि 4 साल नौकरी के बाद जो अग्निवीर सैनिक सेना से हटाए जाएंगे, उनका भविष्य क्या होगा? क्योंकि, 4 साल बाद सिर्फ 25% अग्निवीर सैनिक ही सेवा में बने रहेंगे। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सफाई दी कि जो 75% अग्निवीर सेवा से बाहर होंगे, उन्हें असम राइफल्स या अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों की भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस साल 46 हजार अग्निवीर भर्ती किए जाएंगे।

ये भर्तियां हर साल होंगी। दूसरी ओर, ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब पहले जैसी नियमित भर्तियां नहीं होंगी? इस बारे में सरकार का अभी स्पष्टीकरण नहीं आया है। इसलिए युवाओं में संशय है। इधर, नई भर्ती योजना के विरोध में युवाओं ने मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, आरा, बक्सर और बेगूसराय में प्रदर्शन किया। मुजफ्फरपुर मंें सेना भर्ती बोर्ड कार्यालय के निकट सहित अन्य जगहों पर 4 घंटे बवाल किया। तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस ने हालात संभालने को लाठीचार्ज किया। वहीं युवाओं ने बक्सर में रेलवे ट्रैक, बेगूसराय और नवगछिया में एनएच 31 को एक घंटे जाम किया। गया में सड़क पर आवाजाही रोकी।

सैन्य सिस्टम से लेकर समाज तक…चार प्रमुख आशंकाएं

1 यह योजना क्यों लाई गई?
सरकार पेंशन जैसी देनदारी से बचेगी। वहीं, दूसरी ओर सेना हमेशा ज्यादा जवान बनी रहेगी।

2 विरोध के क्या कारण?
विरोध दो स्तरों पर हो रहा है। पहला- युवाओं की ओर से। उनका कहना है 4 साल बाद बेरोजगार होने की आशंका रहेगी। दूसरा- अफसर बता रहे हैं कि इस योजना से प्रोफेशनल आर्मी के मापदंडों से समझौता करने की नौबत आएगी।

3 किस-किस तरह की आशंकाएं हैं?
ले. जनरल (रिटा.) डीएस हुड्‌डा बताते हैं कि 4 प्रमुख आशंकाएं हैं। पहली- ट्रेंनिंग अवधि 6 महीने है, जो कम है। दूसरी- मोटिवेशन लेवल कम हो सकता है। तीसरी- रेजिमेंटल सिस्टम पर खतरा होगा। चौथी- सैनिक को पहले साल कटौती के बाद 21 हजार मिलेंगे।

4 कई पूर्व अफसर खतरनाक बता रहे?
ले. जनरल (रिटा.) विनोद भाटिया कहते हैं कि हर साल हजारों सैनिक बेरोजगार होंगे। इससे समाज के सैन्यीकरण का खतरा पैदा होगा।

5 अफसर इस योजना को अच्छा बता रहे
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के संयुक्त सविच पवन सेन कहते हैं कि ये बेहतरीन योजना है। इससे समाज को फौज से आने वाले अनुशासित युवा नागरिक मिलेंगे। सेवा के दौरान ग्रेजुएशन की पढ़ाई जारी रखकर सेना से बाहर आने के बाद दूसरे काम के लिए योग्य बनेगा।

6 जरूरी नहीं कि सैनिक बेरोजगार हो?
सैनिक जब 4 साल बाद बाहर आएगा तो उसके पास करीब 12 लाख रु. होंगे। अधिकतम उम्र 25 साल होगी, इसलिए दूसरा काम शुरू कर सकता है। पर, आंकड़े बताते हैं कि 2% पूर्व सैनिकों को दूसरी नौकरी मिली।

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