बिहार फिर रचेगा इतिहास, शराबबंदी के खिलाफ 21 जनवरी को बनेगा मानव श्रृंखला, बनेगा नया रिकॉर्ड
21 जनवरी को शराबबंदी, बालविवाह, दहेजप्रथा और जल-जीवन-हरियाली के मुद्दे पर बनेगी सारे रिकॉर्ड को तोड़ने वाली मानव शृंखला, नशामुक्ति दिवस पर सीएम ने सख्त लहजे में कहा-जिसे पीना हो वे बिहार न आएं, नीतीश का निशाना-घर पर शराब मंगाने वाले ही होम डिलिवरी की बात करते हैं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी पर उंगली उठाने वालों से चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक हम हैं, राज्य में कोई शराबबंदी को खत्म नहीं कर पाएगा। शराबबंदी से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री मंगलवार को नशामुक्ति दिवस पर ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग परमानेंट हमारे खिलाफ हो गए हैं। शराब की होम डिलिवरी का आरोप लगाया जाता है।
पर होम डिलिवरी की बात वही लोग करते हैं जिनको होम (घर) में शराब मंगाने और पीने की आदत होती है। बिहार में 21 जनवरी को शराबबंदी, बालविवाह और दहेजप्रथा के साथ-साथ जल-जीवन-हरियाली के मुद्दे पर मानव शृंखला बनाई जाएगी। यह एक ऐसी मानव शृंखला होगी जो अपने पिछले रिकॉर्ड (4 करोड़ से अधिक लोग, वर्ष 2016) को ध्वस्त कर देगी। उन्होंने जीविका की दीदियों से पूरे राज्य में महात्मा गांधी के इस नारे को प्रचारित करने का आह्वान किया कि ‘शराब पीने वाला हैवान बन जाता है’।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई पीने के लिए बिहार आना चाहता है तो उनको हमारे यहां आने की कोई जरूरत नहीं है। बिहार में शराबबंदी के बाद से देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत शराब कारोबार से जुड़े 11590 परिवारों की पहचान करके उनको दूसरे तरह का रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। जल्द ही नीरा के कारोबार को फिर से शुरू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों से झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल की सीमा पर खास ध्यान देने को कहा। अब उसके असली कारोबारी को पकड़ने के लिए सीमावर्ती राज्यों के संबंधित अफसरों और पुलिस की मदद ली जानी चाहिए। पंजाब, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश के नंबर वाले पकड़े गए वाहनों की तह तक जाकर सच का पता करना चाहिए। सीएम बोले-सरकारें टैक्स घटने के डर से शराबबंदी नहीं करतीं, हमने परवाह नहीं की मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल समेत कई जगहों पर शराब पर रोक लगाने की मांग होती है।
लेकिन वहां पर लोगों (शासन) को हिम्मत नहीं होती है। जिनको रोक लगाना है वे सरकारी खजाने की चिंता में लग जाते हैं। उनको लगता है कि टैक्स घट जाएगा। क्या सरकार के लिए खजाने को टैक्स से भरना ही महत्वपूर्ण है? क्या लोकतंत्र में जनता की अहमियत नहीं है? क्या सरकार उनलोगों की चिंता नहीं करेगी जिनता पैसा शराब पीने में बर्बाद हो जाता है। बिहार में शराब से सालाना 5000 करोड़ रुपए टैक्स आता था। हमने टैक्स की चिंता किए बिना शराबबंदी लागू कर दी।