गुजरात-उत्तर प्रदेश-महाराष्ट्र के DGP पद पर हैं बिहारी अधिकारी, सबने माना लोहा

PATNA : बिहार से बाहर भले लोग बिहारियों को गंवार समझकर अपमानित करते हों, लेकिन सच यही है कि वे अपनी प्रतिभा के दम पर दूसरे राज्य में रहते हैं। अपनी अलग पहचान बनाते हैं और मंजिल प्राप्त करते हैं। आज हम आपको कुछऐसे ही बिहारियों के बारे में बताने जा रहे हैं। इनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि इनके जिम्मे पूरेराज्य की सुरक्षा व्यवस्था है। हम बात कर रहे हैं गुजरात-उत्तर प्रदेश-महाराष्ट्र-आंध्र प्रदेश के DGP पद पर बैठे शिवानंद झा, ओपी सिंह, आरपी ठाकुर और सुबोध जायसवाल की। तो आइए जानते हैं इन चारो अधिकारी का संक्षिप्त परिचय

गुजरात के डीजीपी शिवानंद झा : मधुबनी जिले के बाबूबरही थाना क्षेत्र के मौआही गांव के ल शिवानंद झा गुजरात के डीजीपी पद पर पदस्थापित हुए हैं। जीपी शिवानंद झा के चाचा स्वतंत्रता सेनानी जगदीश झा के अनुसार श्री झा के पिता स्व. वैद्यनाथ झा बिहार सचिवालय में फिनान्स विभाग के बजट आफिसर पद से रिटायर किए थे। इनकी पत्नी वैदेही कुशल गृहणी है। गांव के सभ्यता, संस्कार से इनका शुरू से ही नाता रहा है। पटना के पाटलिपुत्रा में इनका पैतृक घर है। प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई। वर्ष 1982 में एलाईड सेवा में इनका चयन हुआ। इनकम टैक्स आफिसर पद पर ज्वाइन भी किए। वर्ष 1983 में आइपीएस में चयन हुआ। गुजरात कैडर में गए। इनके छोटे भाई देवानंद झा व देवानंद झा की पत्नी जया झा फिलहाल श्रीलंका में चिकित्सक है। गांव में इनका पैतृक संपति है। श्री झा के चाचा रामनारायण झा कोलकाता यूनिवर्सिटी से लॉ की पढाई किए थे।

उत्तरप्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह : ओपी सिंह प्रमुख रूप से बिहार के गया के रहने वाले हैं। उन्होंने बचपन में काफी संघर्ष का सामना किया। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां का बहुत योगदान रहा है। ओपी सिंह की मां ने लगभग 10 साल तक खेती की जिससे कि उनका बेटा पढ़ लिख सके। ओपी सिंह की शुरूआती पढ़ाई गया में ही हुई। इसके बाद रांची के संत जेवियर इंटर कॉलेज से आगे की शिक्षा ग्रहण की। इसी दौरान उनके पिता की मौत ने परिवार को हिलाकर रख दिया। उस समय उनके पिता के खाते में सिर्फ 600 रुपये थे। अब किसी को समझ नहीं आ रहा था कि परिवार का पालन पोषण कैसे होगा। लेकिन उनकी मां ने ये जिम्मेदारी उठाई और घर से बाहर कदम न रखने वाली मां ने खेती कराने का काम शुरू किया। फिर कुछ पैसे आने शुरू हुए तो घर की हालत थोड़ी ठीक हुई। बच्चों की पढ़ाई के लिए उनकी मां ने जो बलिदान दिए वो सिर्फ एक मां ही अपने बच्चों के लिए कर सकती थी। इसी दौरान ओपी सिंह स्नातक करने के लिए इलाहाबाद चले गये। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल छात्रावास में रहे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए में गोल्ड मेडल हासिलकर लिया और वो यहां पढ़ाने लगे। इसके बाद उनका 1983 बैच से आईपीएस अफसर के लिए चुनाव हो गया और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मुम्बई के डीजीपी सुबोध जायसवाल : बिहार के निवासी सुबोध जायसवाद को मुम्बई का नया डीजीपी बनाया गया है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की पुलिस को आज अपना नया बॉस मिल गया। 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल मुंबई पुलिस के नए कमिश्नर होंगे। सुबोध जायसवाल मौजूदा पुलिस कमिश्नर दत्ता पडसलगीकर की जगह लेंगे। दत्ता पडसलगीकर का प्रमोशन महाराष्ट्र के डीजीपी पद पर हो गया है। सुबोध जायसवाल ने चार्ज संभाल लिया है। जायसवाल पहले भी मुंबई में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इसके साथ ही उन्हें रिसर्च एंड एनालिसिस विंग में काम करने का भी अनुभव है। जायसवाल तेलगी स्टांप घोटाले और मालेगांव ब्लास्ट मामलों की जांच से भी जुड़े रहे हैं। सुबोध जायसवाल मुंबई के 41 वें पुलिस कमिश्नर होंगे।

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