सुशांत की मौत के बाद मुंबई को गुडबाय कह रहे बिहारी कलाकार, यहीं बनाएंगे फिल्में

Patna:फ़िल्म निर्देशक और सिनेमेटोग्राफर एज़ाज़ हुसैन ने बताया कि बिहार से बड़ी संख्या में लोग अपने सपने को पूरा करने मुंबई जाते हैं. कारण है इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. सरकार को चाहिए कि सब्सिडी के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दे, ताकि यहां के कलाकारों के साथ अन्य लोगों को काम मिल सके. कई कलाकारों को अपनी फ़िल्म के जरिए मौका दे रहा हूं, ताकि उनकी प्रतिभा उभर कर सामने आ सके. उन्होंने कहा कि छोटे-बड़े कलाकार अब बाहर जाने से घबरा रहे हैं और बिहार में रहकर ही शॉर्ट फ़िल्म और वेबसिरीज तैयार कर रहे हैं.

सुशांत के लिए और मजबूत होकर लक्ष्य से जुड़ें

वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक विनोद अनुपम बताते हैं कि अपनी माटी में काम करने का एक अलग ही आनंद होता है. शहर के युवा अगर इस तरह की पहल कर रहे हैं तो यह काफी अच्छी बात है, लेकिन सुशांत सिंह के कारण अगर हम अपने लक्ष्य से चूकते हैं तो हम खुद को दुख दे रहे हैं. क्योंकि बिहार से कई कलाकार गए हैं, जिन्हें काम मिल रहा है. उन्होंने युवाओं से कहा कि चुनौतियां हर जगह भरी है, इसलिए खुद में क्षमता विकसित कर कदम आगे बढ़ाएं. फ़िल्म इंडस्ट्री में जब भी जाएं, वहां ऐसा काम करें, जिससे डायरेक्टर और प्रोड्यूसर की जरूरत बन जाएं. अच्छी फिल्में बनाने के लिए हमें आगे बढ़कर इसपर काम करना पड़ेगा. टीम जब साथ में काम करेगी, तभी एक नई चीज सामने निकल कर आएगी. साथ हीं फ़िल्म का संवाद और अभिनय दमदार होना चाहिए.

अब यहीं रहकर काम करें कलाकार

फिल्म मॉम फेम एक्ट्रेस सुमन पटेल बताती हैं कि मैं भी बिहार से ही हूं. मैं चाहती हूं कि जो कलाकार मुंबई जाकर इतनी मेहनत करते हैं और कई बार उन्हें मनमुताबिक रिजल्ट नहीं मिल पाता है. इससे अच्छा है कि वे बिहार में रहकर ही काम करें. सुशांत सिंह राजपूत के जाने के बाद उनका फैसला बदलना काफी सराहनीय है. सुमन बताती हैं कि कलाकार बिहार में ही रहकर खूब मेहनत करें और यहां से ही फिल्में बनाकर पूरे देश को बिहार की पहचान दिलाएं. कलाकार इतने अच्छे से काम करें, कि उन्हें कहीं जाने की जरूरत ही न पड़े. एक्ट्रेस सुमन पटेल ने बॉलीवुड फिल्म मॉम के अलावा अनारकली ऑफ आरा के साथ मराठी फिल्में और कई एडवरटीजमेंट जैसे फोन पे, बेनाड्रिल आदि में भी काम किया है. सुमन का कहना है कि यहां नेशनल फिल्म अकादमी बने ताकि लोग अपने राज्य में ही फिल्म मेकिंग सीख सकें.

फ़िल्म निर्देशक और राइटर विषमय कुमार बताते हैं कि कलाकारों में प्रतिभा आ जाने के बाद बिहार के कई कलाकार मुंबई के सपने देखते लगते हैं. उनकी ख़्वाहिश होती है कि वहां जाकर अपनी प्रतिभा दिखाएंगे, लेकिन ये कलाकार वहां की जद्दोजहद से बिल्कुल भी वाकिफ नहीं होते हैं. ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत केस के बाद अधिकतर कलाकारों ने अपना मन बदल दिया है. उनका कहना है कि बिहार में रहकर ही हम अच्छी फिल्में बना सकते हैं और इसे इंटरनेशनल लेवल तक भी पहुचां सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि निर्देशक होने के नाते नए कलाकारों या युवाओं को मौका जरूर दिया जाएगा, ताकि वे अपनी प्रतिभा दिखा सके. विषमय ने कई शाॅर्ट फिल्मों को डायरेक्ट किया है. उनके द्वारा निर्देशित की गई शाॅर्ट फ़िल्म ‛चुप-चुप रहती बेटी’ को दर्शकों ने खूब सराहा. यह शाॅर्ट फ़िल्म छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का अवाॅर्ड भी जीता है.

छोटे और बड़े कलाकार शहर में ही बना रहे हैं शाॅर्ट फिल्में
बॉलीवुड के मशहूर और प्रतिभाशाली दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जाने के बाद मायानगरी के भ्रम जाल से हटकर बिहार के युवा कलाकार बिहार में ही फिल्में और शाॅर्ट फिल्में तैयार कर रहे हैं. वे अपनी प्रतिभा को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर ले जाना चाहते हैं. वहीं फ़िल्म निर्देशकों का कहना है कि बिहार में ही रहकर हम अच्छी फिल्में तैयार करते रहे हैं और इसमें युवाओं को भी शामिल किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने बिहार सरकार से फ़िल्म इंस्टिट्यूट का निर्माण करने की भी अपील की, ताकि यहां के कलाकारों को कहीं और जाने की आवश्यकता ना पड़े.

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