BJP के पूर्व विधायक का संकल्प-कोरोना के खत्म होने तक नहीं पहनेंगे जूता-चप्पल

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PATNA : कोरोना वायरस (Corona virus) को लेकर पूरे देश में भय का माहौल है. इस वायरस से निपटने के लिए लोग तरह-तरह की सावधानियां बरत रहे हैं. वहीं, कुछ लोग कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए तरह-तरह के संकल्प भी ले रहे हैं. इसी बीच बिहार के सासाराम (Sasaram) में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां पर बीजेपी (BJP) के पूर्व विधायक 65 वर्षीय जवाहर प्रसाद (Former MLA Jawahar Prasad) पिछले 6 महीने से जूता- चप्पल नहीं पहन रहे हैं. साथ ही उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक कोरोना वायरस का संक्रमण हिंदुस्तान से खत्म नहीं हो जाता वह अपने पांव में जूता-चप्पल (Slipper) नहीं पहनेंगे. जानकारी के मुताबिक, बीते मार्च महीने में ही उन्होंने अपने पांव से चप्पल तथा जूते त्याग दिए थे और तब से नंगे पांव रह रहे हैं. यहां तक कि कई कार्यक्रमों में भी उन्हें नंगे पांव ही देखा जाता है. पूर्व विधायक के इस अनोखे संकल्प की आसपास के इलाके में चर्चा है. लोग कहते हैं कि इस दौरान पूर्व विधायक जी को कई बार पांव में कांटे भी चुभें, पत्थरों से ठेस भी लगे, लेकिन पिछले 6 महीने से उनका संकल्प जारी है. जेठ की दोपहरी में भी उन्हें नंगे पांव ही घूमते देखा गया. वह खुद कहते हैं कि चाहे कितना भी समय लगे, जब तक कोरोना वायरस देश से दूर नहीं होगा वह नंगे पांव ही रहेंगे. नेताजी के इस अनोखे संकल्प की चर्चा है.

सासाराम के पांच बार विधायक रह चुके जवाहर प्रसाद कहते हैं कि जब तक कोरोना वायरस का संक्रमण समाप्त नहीं होगा, उनका संकल्प जारी रहेगा. होली के बाद से ही उन्होंने चप्पल-जूता पहनना त्याग कर दिया है. ऐसे में जब तक पूरे देश से यह महामारी खत्म नहीं हो जाती है, वह नंगे पांव ही रहेंगे. चाहे विभिन्न राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए शहर से बाहर जाना हो या फिर चुनावी सीजन शुरू होने पर गांव, मोहल्लों और शहरों में भ्रमण करना हो, हर परिस्थिति में वे नंगे पांव ही लोगों के बीच जा रहे हैं. चूंकि जवाहर प्रसाद भाजपा से जुड़े हुए हैं और पिछली बार के विधानसभा चुनाव में थोड़े ही अंतर से चुनाव हारे थे. ऐसे में विरोधियों का कहना है कि यह उनका चुनावी स्टंट है. लोगों के बीच सहानुभूति बटोरने के लिए नेताजी ऐसा कर रहे हैं. लेकिन इससे कुछ होने जाने वाला नहीं है. ऐसे भी धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण वे ज्यादातर चप्पल जूता का उपयोग आम दिनों में भी कम ही करते थे. बता दें कि बिहार में चुनावी मौसम है. ऐसे में राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों की हर गतिविधि का विरोधी मायने निकालते ही हैं.

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