LJP खुद 1 सीट जीती, वोट काटकर जदयू को 36 सीटें हरवा दी, BJP मय बिहार फिर से नीतीशे कुमार

लोकसभा उपचुनाववाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव में जदयू जीत के करीबबिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट के लिए भी वोटों की गिनती जारी है। चुनाव आयोग के अनुसार वाल्मीकिनगर लोकसभा उपचुनाव में जदयू के प्रत्याशी सुनील कुमार को 403360 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस के प्रवेश कुमार मिश्र को 380821 वोट मिले हैं। जदयू की जीत पक्की मानी जा रही है।

बिहार विधानससभा का चुनाव परिणाम आखिरी समय तक कयासों के साथ धड़कनों को बढ़ाता रहा। देर रात को एनडीए ने सरकार बनाने के लिए 122 सीटों के जादुई आंकड़े को छू लिया। एनडीए को 125 सीटें मिली जबकि महागठबंधन के खाते में 110 सीटें गईं। 74 सीटें जीतकर भाजपा ने बिहार को जहां भगवामय किया वहीं, एक बार फिर नीतीश सरकार का सत्ता में लौटना तय कर दिया। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें (भाजपा को 74, जदयू को 43, वीआईपी को 04 और हम को 4) सीट मिली हैं। इधर, महागठबंधन 110 सीटों (राजद 75, कांग्रेस 19 वामदलों को 16) पर जीत मिल चुकी थी। दूसरी ओर, लोजपा ने 1 और ओवेसी की एआईएमआईएम ने 5 सीटें जीतीं। इस चुनाव में राजद सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है।

एक सीट बसपा और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी सुमित सिंह भी चुनाव जीते। तीसरे चरण में एनडीए ने 52 सीटें जीती हैं। यह वही चरण है जब नीतीश ने धमधहा में प्रचार के आखिरी दिन अपने अंतिम चुनाव की बात कही थी। बहुमत मिलने के बाद संभव है कि सरकार दीवाली के बाद शपथ ले। हालांकि अभी 29 नवबंर तक समय है। गौरतलब है कि पिछली बार एनडीए के पास 125 सीटें थीं। इसबार भी बार उतनी ही सीटें हैं। विपक्ष के पास 110 सीटें थीं। इस बार भी उतनी ही हैं। बस इस बार भाजपा की सीटें बढ़ीं और जदयू की घटीं हैं। वीआईपी और हम ने बराबरी पर पहुंचाया। दूसरी ओर, विपक्ष में राजद की पांच और कांग्रेस की आठ सीटें घटी। घाटे की भरपाई वामदलों ने कर दी।

आरोप-प्रत्यारोपराजद : 10 सीटों पर रिकाउंटिंग की मांग
इधर राजद का आरोपह है कि साज़िशन 4-5 घंटो तक एनडीए को 122 और महागठबंधन को 96-100 पर रोके रखआ गया। राजद ने 10 सीटों पर दोबारा मतगणना की मांग की है। दूसरी ओर, भाजपा और जदयू ने 1-1 सीटों पर रिकाउंटिंग की मांग की है।

लोजपा से जदयू ही नहीं, भाजपा को भी नुकसान

चिराग ने कहा- हम अपने उद्देश्य में सफल, पर रोसड़ा से भाई को भी नहीं जिता सके
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव में खुद की पार्टी को जीत दिलाने में सफल नहीं रहे। लेकिन एनडीए के चार दर्जन प्रत्याशियों को हराने में सफल रहे। सबसे ज्यादा लोजपा प्रत्याशी जदयू के 36 सीटों पर नुकसान पहुंचाया। जदयू, हम और वीआईपी ही नहीं भाजपा की भी कुछ सीटें लोजपा के कारण हार में बदली। लोजपा प्रमुख ने नारा दिया था कि भाजपा से वैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। लोजपा उम्मीदवार को मिले वोट और एनडीए प्रत्याशियों को मिले वोट को जोड़ने पर महागठबंधन के जीते प्रत्याशियों से अधिक होता है। कई सीटों पर तो जदयू के उम्मीदवारों से अधिक मत लोजपा के उम्मीदवारों को मिले हैं। लोजपा ने भागलपुर सीट पर अपने उम्मीदवार खड़ा कर भाजपा को भी हराने में सफल रही। राधोपुर में भी राजद के तेजस्वी यादव की जीत के पीछे लोजपा को ही कारण माना गया। पार्टी 7 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। यानी जदयू व हम से अधिक वोट लोजपा के उम्मीदवार को मिले।

हालांकि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान अपने चचेरा भाई और प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी के सांसद प्रिंस राज के बड़े भाई कृष्ण राज को रोसड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जिताने में असफल रहे। पार्टी इस चुनाव में खाता खोलने में सफल रही।

ओवैसी फैक्टर5 सीटें जीतीं, मुस्लिम बहुल 32 सीटों में 18 पर महागठबंधन हारा
32 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 30% से ज्यादा है। ओवैसी की पार्टी ने इन सीटों पर महागठबंधन को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इससे एनडीए 18 सीटों पर आगे थी। इनमें 12 भाजपा और छह जदयू के खाते में जाती दिख रही है। कांग्रेस पांच और राजद को सिर्फ तीन सीटों पर बढ़त मिली। पांच सीटों पर एआईएमएम आगे है। 2015 में भाजपा ने इन 32 सीटों में से 7 में जीत हासिल की थी।

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