तीन लाख करोड़ की संपतिवाला BSNL 950 करोड़ में बिक रहा है, अंबानी-अदानी है प्रबल खरीददार
PATNA : मुल्क के आर्थिक हालात दिन ब दिन बिगड़ते जा रहे हैं…देश की सबसे बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल के पास अपने 1 लाख 70 हजार कर्मचारियों को जून महीने की तनख्वाह देने के लिए पैसे नही है कंपनी ने एक बयान जारी कर के कहा है कि कैश की कमी के चलते जून के लिए लगभग 850 करोड़ रुपये की सैलरी दे पाना मुश्किल है इससे पहले भी इसी साल लोकसभा चुनाव पूर्व ऐसी स्थिति बन चुकी है लेकिन तब जैसे तैसे कर के इन कर्मचारियों की तनख्वाह दे गयी, लेकिन अब पानी सर के ऊपर से गुजरने वाला है.
कुछ दिन पहले ही बीएसएनल कर्मचारियों की एक बड़ी संस्था ‘दि आल इंडिया ग्रैजुएट इंजीनियर्स एंड टेलीकॉम आफिसर्स एसोसिएश ने प्रधानमंत्री को इस बारे में पत्र लिखा था पत्र में प्रधानमंत्री से कंपनी के नकदी संकट को दूर करने के लिये बजट समर्थन दिये जाने का अनुरोध किया गया था.
पत्र में उन्होंने जो पॉइंट उठाए है वह गौरतलब है उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि ‘बीएसएनएल ने 2014-15 में 672 करोड़ रुपये, 2015-16 में 3,885 करोड़ रुपये और 2016-17 में 1,684 करोड़ रुपये का परिचालन लाभ दर्ज किया था’. यदि यह बड़ा लाभ कमाने वाली कम्पनी थी तो पिछले 2 सालों में अचानक ऐसी कौन सी आपात स्थिति आ गयी कि इतनी बड़ी कम्पनी को अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देंने के लाले पड़ गए हैं.
पत्र में यह भी कहा गया है कि ‘बाजार बिगाड़ने वाली परिस्थितियों के चलते बीएसएनएल सहित पूरा दूरसंचार क्षेत्र दबाव में आया है। इसके बावजूद बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो रही है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद बीएसएनएल आत्मनिर्भर है और उस पर कोई कर्ज बोझ नहीं है। यह दूसरी दूरसंचार कंपनियों के एकदम उलट स्थिति है जो कि भारी कर्ज बोझ तले दबी हैं। दूरसंचार क्षेत्र की अन्य कंपनियों बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज बोझ तले दबी हैं’.
लेकिन इन सबके बावजूद सिर्फ अपने मित्र पूंजीपति की एक कंपनी को फायदा पुहचाने के लिए लाखो कर्मचारियों के परिवारों को दर दर की ठोकर खाने पर मजबूर किया जाएगा….यही तो है ‘सबका साथ सबका विकास और सबके विश्वास का खून.
लेखक- गिरिश मालवीय, पत्रकार
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It’s quite simple to understand that ,why will a private sector company will buy a loss driven company?
If your limbs doesn’t work properly,you visit specialists to get it treated! You don’t amputate it.
Which consultants had the government hired to ameliorate it’s loss making ‘navratnas’?
Aisi democracy jisme ek election mein 27k crores rupee spend Kiya gaya ho aor political parties ko apna source of funds batana zaroori na ho,then barbadi is nearer than as it appears!!