”BSNL बर्बाद हुआ नहीं बल्कि JIO के लिए मोदी सरकार में किया गया है”

BSNL बर्बाद हुआ नहीं बल्कि किया गया है

मैं हमेशा से ही सरकारी सेवाओं का उपयोग करने और सरकार को ही पैसा देने का समर्थक रहा हूँ, सरकार चाहे किसी की भी हो। टेलीकॉम सेक्टर की बात करूं तो जब मोबाइल नया नया आया था और जब मेरे पास मोबाइल खरीदने के पैसे आए थे तो एक छोटा सा मोबाइल खरीदने के बाद मैंने BSNL का सिम खरीदने की भरपूर कोशिश की थी। उस वक्त BSNL का सिम मिल जाने का अर्थ था कि आपको साक्षात ईश्वर के दर्शन हो जाए। बहरहाल, BSNL वालों ने इतने नखरे दिखाए कि मेरी दिली इच्छा होने के बावजूद मुझे यह सिम नहीं मिल पाया। थक हारकर रिलायंस का सिम लिया। दिल्ली में गया तो रिलायंस का नम्बर त्यागकर फौरन MTNL का ग्राहक बन गया। फिर जब दिल्ली छूटा और BSNL का सिम आसानी से उपलब्ध हो गई तो मैंने बिना कुछ सोचे BSNL का ग्राहक बनने में ही अपनी भलाई समझी। सोचता था पैसा देना ही है तो सरकारी उपक्रम को देना चाहिए ना कि प्राइवेट को। तमाम किंतु परंतु के बाद भी जैसे तैसे BSNL साथ निभा ही रह था लेकिन यह भी सत्य है कि इसके पैंतरे भी एक से एक थे। 3G तक तो जैसे तैसे यह रिश्ता निभता गया लेकिन 4G और ख़ासकर जिओ के भयंकर तरीक़े से आने से पहले तक BSNL की हालत यह कर दी गई कि ना कॉल लगेगा और ना ही कॉल जाएगा। कभी लग गया तो मुश्किल से ही बात हो पाएगी। पहले नेट दनादन चलता था अब मुश्किल से ही कभी लॉगिन हो पाता था। अब आपके पास मोबाइल हो और वो लगे ही ना तो उसके होने और ना होने का कोई लाभ ही नहीं है। मजबूरन और दुखी मन से मुझे अपने BSNL को Airtel में पोर्ट करवाना पड़ा। लेकिन जिओ के चक्कर में इसकी हालात भी बहुत ख़राब हुई तो मजबूरन एक जिओ का सिम भी अभी पिछले साल लिया।
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इस सोच के कई लोग आज भी हैं जो सरकारी सेवाओं को ही इस्तेमाल करके उसे ही अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई देना चाहते हैं लेकिन जब सरकार ख़ुद ही इन सेवाओं को बर्बाद करके किसी ख़ास प्राइवेट कंपनी को लाभान्वित करना चाहती है तो आम आदमी क्या करे। सरकार का काम है कि वो सेवाओं को दुरुस्त और अपडेट करे ना कि उसे प्राइवेट हाथों में बेच डाले और इस बेचने और गिरवी रखने का नाम विकास दे दे। सरकारों का चयन सरकारी उपक्रम को बेचने और बर्बाद करने के लिए होता है या उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए? कमाल है कि आजतक BSNL को 4G का लाइसेंस तक नहीं दिया गया और जिनके पास आज भी किसी वजह से BSNL है उन पर दिन भर पता नहीं क्या फालतू का इरिटेटिंग मैसेज आता रहता है।
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आज भी अगर यह BSNL की सेवा दुरुस्त हो जाए तो करोड़ों लोग BSNL ही अपनाएगें। पहले चीज़ें बर्बाद कर दो फिर उसे बंद या बेच दो ताकि किसी अन्य को लाभ हो यह कौन सी देशभक्ति है? और अगर देश को गिरवी रखना या बेचना ही एकमात्र विकल्प है तो ऐसी सरकार से अच्छा तो परचून की दुकान होता है यह बात पता नहीं कब समझ में आएगी भारतीय जन को! भाई, लोकतंत्र में किसी की भी आंख बंद करके भक्ति नहीं होती बल्कि आंख खोलकर और दिमाग इस्तेमाल करके जिया जाता है वरना तुम हवा में नारे उछालते रहोगे और यहां ज़मीन ग़ायब हो जाएगी।
#क्रमशः

-PUNJ PRAKASH

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