कहां गई मेरी मिष्टी,भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया,अब किसको दूध पिलाऊं,किसके लिए लंच पैक करूं

PATNA: जब कलेजे का टुकड़ा अलग होता है, वो दर्द सिर्फ माता-पिता ही समझ सकते हैं। मिष्टी की मां का हाल भी कुछ ऐसा ही है। बेटी की मौ’त के बाद मां मीरा बेसुध है। बस एक ही बात दोहराती हैं- मिष्टी उठ जा दूध पी ले, स्कूल जाना है। सुबह पौने छह बजे मिष्टी की मां मीरा बेटी को घर में तलाशते हुए कुछ इसी तरह आवाजें लगाती रहीं। कहां गई मेरी मिष्टी, भगवान ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया, अब किसको दूध पिलाऊं, किसके लिए लंच पैक करूं। वहीं, दादी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। मिष्ठी की तस्वीर को सीने से लगाकर दादी रोते रहती हैं। 

मिष्टी का 4 साल का छोटा भाई ऐनिक मंगलवार को स्कूल नहीं गया। ऐनिक डीएवी न्यू शिमला में नर्सरी में पढ़ता है। घर में मातम के माहौल के बीच एनिक परेशान दिखा। कभी खेलने घर से बाहर निकल जाता है तो कभी ऊपर की मंजिल में चला जाता। मासूम को पता नहीं कि उसे ‘एनी’ कह कर पुकारने वाली बड़ी बहन मिष्टी अब हमेशा के लिए चली गई है।

दरअसल, झंझीड़ी बस हादसे में मिष्टी की जान चली गई।  मिष्ठी का असली नाम मेहल था। घर में सभी उसे प्यार से मिष्टी कहकर बुलाते थे। जहां  सुबह से लेकर शाम मिष्टी की हंसी की आवाज गूंजती थी, वहां अब मातम है।  पिता ने बताया कि वह किसी काम से बाहर गए हुए थे और उनकी गैर मौजूदगी में ये हादसा हो गया।

शनिवार को मिष्टी और बेटे ऐनिक ने हार्स राइडिंग की जिद की। पापा दोनों बच्चों को हार्स राइडिंग करवाने रिज पर ले गए, फोटो खिंची और फेसबुक पर भी डाली। किसको क्या पता था कि मिष्टी की यह अंतिम सैर होगी। दो महीने पहले मिष्टी अपनी नानी के घर ठियोग गई थी।

शिमला लौटने के बाद पापा से टॉय स्कूटी गिफ्ट में मांगी। बृजेश का चंडीगढ़ जाना हुआ और लौटते हुए बेटी के लिए स्कूटी ले आए। टॉय स्कूटी से खेलना मिष्टी को बेहद पसंद था। हर साल 5 अक्तूबर को पूरा परिवार मिष्टी का जन्मदिन धूमधाम से मनाता था।

 

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