मोदी सरकार ने कानून में किया बदलाव बड़ा बदलाव, कर्ज नहीं चुकाने पर भुगतना पड़ेगा

दिवालिया हो चुकी कंपनियों का मामला 330 दिनों में निपटाना होगा। केंद्रीय कैबिनेट ने इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड से जुड़े सात संशोधनों पर अपनी मुहर लगा दी है। सरकार इन प्रस्तावों को संसद में मंजूरी के लिए पेश करेगी, जिसके पास हो जाने के बाद इसे लागू किया जा सकेगा। अब कंपनियों के मर्जर और डीमर्जर को लेकर क्लियरिटी आएगी। मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि आईबीसी नए भारत के निर्माण में बड़ा सुधार कानून है। इसमें संशोधन कर अधिक पारदर्शी बनाया जायेगा।

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फिलहाल मिलता है 270 दिन का वक्त

फिलहाल दिवालिया प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सभी पक्षों को 270 दिन का वक्त मिलता है। इसमें कानूनी लड़ाई और दूसरी सभी न्यायिक प्रक्रिया शामिल हैं। 330 दिन का वक्त इसलिए तय किया गया है क्योंकि कई बार प्रमोटर्स आक्रामक ढंग से अपने केस की पैरवी करते हैं और कंपनी पर अपना कंट्रोल खत्म होने से रोकना चाहते हैं। हालांकि कई मामलों में काफी वक्त लग जाता है।

साफ किया अधिकारों का फर्क

संशोधन में फाइनेंशियल क्रेडिटर्स और ऑपरेशनल क्रेडिटर्स के अधिकारों में साफ-साफ फर्क बताया गया है। फाइनेंशियल क्रेडिटर्स रेस्क्यू प्लान के पक्ष में वोट नहीं करते हैं। दिवालिया हो चुकी कंपनी की वैल्यू को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।

आपको बता दें कि इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी संशोधन विधेयक, 2017′ को संसद में पारित किया गया था। उस दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि ‘इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी संशोधन विधेयक, 2017’ पुराने ‘इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी संशोधन विधेयक, 2016’ की जगह लेगा। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के अंतर्गत कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर कर्ज वापसी के प्रयास किए जाते हैं। इस कोशिश से बैंकों की आर्थिक स्थिति में कुछ हद तक सुधार जरूर हुआ है।

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