सुनिए सरकार: राशन कार्ड से वंचित गरीबों को नहीं मिल रहा राशन, पूर्व मुखिया ने बताया गांव का हाल

एक तरफ सरकार और विभाग के द्वारा राशन कार्डधारियों के बीच अप्रैल माह से नि:शुल्क चावल वितरण की जा रही है तो दूसरी ओर गांवों में सालों से राशन कार्ड से वंचित लाखों गरीब अपने घरों में अनाज के एक एक दाने के लिए मोहताज हैं।

प्रधानमंत्री गरीब खाद्यान्न योजना का राशन वितरण प्रारंभ होने से बिहार के तमाम पंचायतों के मुखियागणों में बेचैनी दिख रही है। इसका प्रमुख कारण है कि पंचायत में बीस फीसद गरीब लोगों के पास राशन कार्ड का नहीं होना।

पूर्वी चंपारण जिले के झरोखर पंचायत के पूर्व मुखिया वीरेंद्र नाथ सक्सेना का कहना है कि इस प्रणाली के अतंर्गत जहां एक गरीब को इस योजना के तहत प्रत्येक सदस्य पर पांच किलो खाद्यान्न तीन माह तक निशुल्क दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर कार्ड से वंचित गरीब परिवार में यह असंतोष का कारण बना हुआ है। लोग घंटों राशन देने वाले डीलरों के सामने लाइन में खड़े तो हो रहे है लेकिन उन्हें बस निराशा ही हांथ लग रही है। उनका कहना है कि जिन कार्डधारियों को एक ही अवधि में दो बार राशन दिया जा रहा है उसे स्थगित कर प्रत्येक पंचायत स्तर पर सर्वे कराकर कार्ड से वंचित गरीबों में मुफ्त राशन का वितरण करवाया जाए।

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गरीबों की मुसीबतें कम करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश भर के 80 करोड़ गरीबों को तीन महीने तक हर महीने 5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल मुफ्त देने का ऐलान किया था लेकिन अनुकरणीय बात ये है कि गांव देहात में रहने वाले ज्यादातर गरीब लोगो के पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है।

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