अभी-अभी : जाति जनगणना पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, रोक लगाने से किया इंकार

जाति आधारित गणना पर बिहार सरकार को फिलहाल राहत:सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने के लिए कहा, नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग थी : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार जातिगत जनगणना के मुद्दे पर नीतीश सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को ‘पब्लिसिटी ‘इंटरेस्ट लिटिगेशन’ करार देते हुए कहा कि किस जाति को कितना आरक्षण देना है इस पर वो आदेश कैसे दे सकते हैं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना जाति आधारित गणना पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। शुक्रवार को नोटिफिकेशन रद्द करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है।बिहार सरकार की तरफ से जारी की गई जाति आधारित गणना की अधिसूचना को रद्द कराने के लिए तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं। इसी याचिका को लेकर सुनवाई हुई।याचिका में जाति आधारित गणना को समाज को तोड़ने वाला बताया गया। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों इस याचिका पर बयान देते हुए कहा था कि हम लोग जनगणना नहीं करा रहे हैं। जाति आधारित गणना करा रहे हैं, जो राज्य सरकार करा सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बिहार सरकार के जातिगत गणना कराने के फैसले को असंवैधानिक कहा था।

अखिलेश का कहना है कि जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है। बिहार सरकार किसी भी तरह का की गणना नहीं करा सकती है। कहा गया है कि 6 जून 2022 के उस अति आधारित गणना के नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए।

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