PM मोदी का धन्यवाद… अब CEL का प्राइवेटाइजेशन नहीं होगा, केंद्र सरकार ने लिया नया फैसला

सरकार ने सरकारी कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL Privatisation) के निजीकरण पर रोक लगा दी है. सरकार (Government) ने कर्मचारी यूनियन के अदालत का रुख करने के बाद सीईएल को बेचने की योजना टाल दी है. अंडर वैल्युएशन के आरोपों के बाद विनिवेश प्रक्रिया को रोका गया है. कर्मचारी यूनियन ने कंपनी के अंडर वैल्युएशन के आरोप लगाए हैं. सरकार ने पिछले साल नवंबर में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को मंजूरी दी थी. निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा कि नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग द्वारा लगाई गई 210 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली में कम मूल्यांकन के आरोपों की जांच की जा रही है.

आपको बता दें कि नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग (Nandal Finance & Leasing) ने सीईएल के लिए सबसे ज्यादा 210 करोड़ रुपये की बोली लगाई है. पांडे ने पीटीआई को बताया कि सीईएल में 100 फीसदी सरकार की हिस्सेदारी नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग को बेचने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) जारी नहीं किया गया है, क्योंकि कम वैल्युएशन के आरोपों की जांच की जा रही है.

मार्च 2022 तक पूरा होना था निजीकरण
सरकार ने नवंबर में डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (DSIR) के तहत सीईएल को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग को 210 करोड़ रुपये में बेचने की मंजूरी दी थी. लेन-देन मार्च 2022 तक पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था.

सीईएल के लिए दो कंपनियों ने लगाई थी बोली
सीईएल के लिए दो कंपनियों ने बोली लगाई थी- नंदल फाइनेंस ने 210 करोड़ रुपये और जेपीएम इंडस्ट्रीज ने 190 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. लेकिन नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग की बोली सबसे ऊंची रही, इसलिए सीईएल को उसके नाम पर मंजूरी देने का फैसला हुआ. नंदल फाइनेंस ने जो बोली लगाई है, वह रिजर्व प्राइस से भी ज्यादा है.आरोप सही पाए जाने पर नंदल फाइनेंस की बोली रद्द कर दी जाएगी. इसके बाद सरकार फिर से कंपनी की बिक्री के लिए बोली आमंत्रित करेगी.

CEL की स्थापना 1974 में की गई थी. नेशनल लेबोरेटरीज एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूशन के द्वारा देश में तैयार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा कैसे कर सकते हैं, इसका जिम्मा सीईएल को दिया गया था. सीईएल देश में सोलर फोटोवोल्टिक (SPV) के क्षेत्र में अग्रणी है, जिसे 1977 में भारत का पहला सोलर सेल और 1978 में पहला सोलर पैनल विकसित करने के साथ-साथ 1992 में भारत का पहला सोलर प्लांट चालू करने का गौरव प्राप्त है.

इस कंपनी ने 2015 में विशेष रूप से पैसेंजर ट्रेन की छतों पर उपयोग के लिए पहला क्रिस्टलीय लचीला सौर पैनल विकसित और निर्मित किया. इसके सोलर प्रोडक्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर के हैं. CEL रेलवे क्षेत्र में सिग्नलिंग और दूरसंचार के लिए नए और उन्नत उत्पादों की एक श्रृंखला के विकास पर आगे काम कर रहा है.

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